चारधाम: देवस्थानम् बोर्ड ने जारी की एसओपी
देहरादून। उत्तराखंड के चारधाम के कपाट खुलने के साथ मंदिरों में कोरोना को लेकर एसओपी जारी की गई है। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री में केवल रावल, पुजारीगण और मंदिरों से जुड़े स्थानीय हक हकूक धारी, पंडा पुरोहित, कर्मचारी व अधिकारी को ही प्रवेश दिया जाएगा। प्रदेश में कोरोना के बढ़ते कोविड ग्राफ के बीच इन सभी की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट जरूरी है। मंदिरों के कपाट सुबह से 7 बजे से शाम 7 बजे तक ही खोले जाएंगे। मंदिरों के प्रवेश द्वारों पर हार्थों को कीटाणु रहित बनाने के लिए सेनेटाइजर का प्रयोग किया जाएगा और सभी की थर्मल स्क्रीनिंग जरूर होगी। सभी प्रवेश करने वाले व्यक्ति विशेषों को फेस कवर (मास्क) का प्रयोग करना अनिवार्य होगा। काेरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच देवस्थानम परिसर के अंदर एवं बाहर सोशल डिस्टेसिंग का कड़ाई से पालन करना अनिवार्य होगा।जिन व्यक्ति विशेषों में कोई लक्षण प्रदर्शित नहीं होगा, केवल उन्हें ही देवस्थान परिसर में प्रवेश की अनुमति होगी। बता दें कि उत्तराखंड मे चारों धामों के कपाट खोलने की तिथि घोषित हो चुकी है। उत्तरकाशी जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट 15 मई को खुलेंगे। अक्षय तृतीय, मिथुन लग्न की शुभ बेला पर विधिवत पूजा अर्चना के साथ सुबह 7:30 पर श्रद्धालुओं के दर्शनाथ कपाट खोल दिये जायेंगे। पवित्र धाम के कपाट खोलने के लिए 14 मई को अपने शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव से सुबह 11:45 बजे मां गंगा की उत्सव डोली गंगोत्री धाम के लिए रवाना होगी।केदारनाथ धाम के कपाट 17 मई को भक्तों के लिए खोले जाएंगे। पंचकेदार गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में केदारनाथ रावल ने घोषणा की है। प्राचीन परपंरा के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन हर साल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का दिन निकाला जाता है। केदारनाथ धाम के कपाट खोलने के लिए भगवान भैरवनाछ की 13 मई को पूजा-अर्चना की जाएगी। बाबा केदार की चल विग्रह डोली पहले ऊखीमठ से प्रस्थान कर 14 मई को फाटा विश्राम के लिए पहुंचेगी।जबकि 15 मई को को गौरीकुंड और 16 मई को केदारनाथ धाम पहुंचेगी, जहां 17 मई को सुबह पांच बजे भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे।बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए इस साल 18 मई को खुलेंगे। बदरीनाथ, जबकि यमुनोत्री धाम के कपाट 14 मई को खोले जाएंगे। केदारनाथ समेत चारधामों के कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर में सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं, जो अगले साल फिर अप्रैल-मई में भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं।