पिथौरागढ़ के पंचाचूली ग्लेश्यिर के बुग्याल में धधक रही आग
पिथौरागढ़ : समुद्रतल से साढ़े चौदह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित पंचाचूली ग्लेशियर के नीचे के बुग्याल (घास के मैदान) फिर धू-धू कर जलने लगे हैं। स्थानीय लोग आशंका जता रहे हैं कि यह आग शिकारियों ने लगाई है। पखवाड़े भीतर बुग्याल में आग का यह दूसरा मामला है।
पंचाचूली के बुग्याल से लेकर बिर्थी के जंगलों तक आग भड़की हुई है। क्षेत्र में अभी तक वन विभाग की टीम नहीं पहुंच पाई है। पिथौरागढ़ के प्रभागीय वनाधिकारी विनय भार्गव ने बताया कि शीघ्र वनकर्मियों की टीम दोनों स्थानों पर भेजी जा रही है। आग लगने के कारणों का पता चलाया जाएगा।
हिमपात के चलते उच्च हिमालय क्षेत्र में प्रवास करने वाले अधिकांश वन्य जीव पंचाचूली ग्लेशियर की तलहटी में स्थित बुग्यालों में आ जाते हैं। दुर्लभ और संरक्षित श्रेणी के कस्तूरा मृग पर शिकारियों की खास नजर रहती है। इसके अलावा हिमालयन थार का शिकार मांस के लिए किया जाता है। इन दिनों इतनी ऊंचाई पर जंगल में आग के मामले सामने नहीं आते।
ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि यह शिकारियों की कारस्तानी हो सकती है। हालांकि अधिकारी सीधे तौर पर कुछ कहने से बच रहे हैं। ग्रामीणें के अनुसार शनिवार की शाम से बुग्याल से धुंआ उठ रहा है। इसके अलावा खलिया टाप की तलहटी पर स्थित बिर्थी झरने के निकट के जंगल में भी आग लगी हुई है। इस सीजन में उच्च हिमालयी वन्य जीव साढ़े दस हजार फीट ऊंचे खलिया टॉप से होते हुए बिर्थी के जंगल तक पहुंचते हैं।