उत्तर प्रदेश के आठ शहरों के मेट्रो प्रोजेक्ट की रफ्तार पर ब्रेक
लखनऊ । केंद्र सरकार की नई मेट्रो पॉलिसी ने उत्तर प्रदेश के आठ शहरों में चलने वाले मेट्रो कार्य पर ब्रेक लगा दिया है। अब नई पॉलिसी के तहत डिटेल प्रोजक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) में फेरबदल के बाद यूपी के शहरों में मेट्रो के कार्य को रफ्तार मिल सकेगी।
तब तक वाराणसी, कानपुर, मेरठ, आगरा, झांसी, इलाहाबाद, गोरखपुर और लखनऊ में ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर का काम शुरू नहीं हो सकेगा। प्रबंध निदेशक लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन कुमार केशव ने बताया कि नई मेट्रो पॉलिसी के तहत कानपुर, वाराणसी, आगरा, गोरखपुर, झांसी, इलाहाबाद, मेरठ व लखनऊ के ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर के डीपीआर में थोड़ा-बहुत बदलाव होगा। इसके बाद चरणबद्ध ढंग से शासन की अनुमति से काम किया जाएगा।
अधिकाधिक राजस्व की तलाश
अब संस्थाओं को नई मेट्रो पॉलिसी को ध्यान में रख डीपीआर संशोधित करना होगा। डीपीआर में स्टेशनों के पास स्थित प्रॉपर्टी डेवलपमेंट एरिया (पीपीपी) यानी ऐसी जमीन व स्थान जिससे अधिक से अधिक राजस्व आ सके, उसकी अधिक संभावनाएं तलाशनी होंगी। भविष्य में अगर कोई निजी कंपनी स्टेशनों को संचालित करे तो वह इन संपत्तियों से अपने कर्मियों का वेतन व स्टेशन के रखरखाव पर खर्च होने वाली राशि निकाल सके।
मेट्रो अफसरों के मुताबिक इस कार्य में सभी स्टेशनों का अध्ययन करते हुए अधिक से अधिक राजस्व की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। उद्देश्य होगा कि उत्तर प्रदेश के अधिक से अधिक शहरों में मेट्रो का संचालन हो सके और बड़ी निजी कंपनियां इन्हें चलाने के लिए आगे आएं और सरकार पर आर्थिक बोझ कम पड़े। इसलिए यह पूरी कवायद की जा रही है।
डीपीआर में संशोधन से खर्चा घटेगा
सूत्रों ने बताया कि जहां मेट्रो कार्य होना है, उनमें वाराणसी, मेरठ, कानपुर, आगरा, इलाहाबाद, गोरखपुर, झांसी व लखनऊ का ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर शामिल है। इनमें गोरखपुर, झांसी और इलाहाबाद में सर्वे की शुरुआत हुई है, इसलिए वहां डीपीआर में संशोधन होने से खर्चा कम आएगा। वहीं कानपुर, वाराणसी, मेरठ, आगरा और लखनऊ के ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर का डीपीआर बन चुका है, इसलिए उसे फिर से बनाना होगा। इसमें एक बार फिर से बड़ी रकम सरकार को खर्च करनी पड़ेगी। देश के अन्य शहरों में भी प्रस्तावित मेट्रो डीपीआर नई मेट्रो पॉलिसी के तहत बनाए जांएगे।
अमटा का होगा हर मेट्रो पर नियंत्रण
अर्बन मेट्रो ट्रांसपोर्ट अथारिटी (अमटा) का यूपी ही नहीं भारत के सभी राज्यों में चलने वाली मेट्रो पर नियंत्रण रखेगा। अमटा द्वारा बनाई गई गाइड लाइन का पालन करना अनिवार्य होगा। आने वाले समय में उपभोक्ता अपनी शिकायत अमटा से उस स्थिति में कर सकेगा जब स्थानीय स्तर पर उसकी सुनवाई नहीं होगी।
News Source: jagran.com