भाजपा विधायकों के हाथ लग सकती है मायूसी, मंत्रिमंडल विस्तार पर संशय
देहरादून । लंबे समय से मंत्रिमंडल में जगह पाने का इंतजार कर रहे सत्तारूढ़ भाजपा के विधायकों के हाथ मायूसी लग सकती है। जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, उनसे लगता है कि बिहार विधानसभा चुनाव तक तो मंत्रिमंडल विस्तार होने की कोई संभावना नहीं। यह भी मुमकिन है कि इसके बाद राज्य विधानसभा चुनाव के लिए महज सवा साल शेष रहते नए मंत्री बनाए ही न जाएं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बुधवार को दिल्ली पहुंचे, लेकिन उनका फिलहाल केवल वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर से मुलाकात का ही कार्यक्रम तय है। खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिल्ली रवाना होने से पहले कहा कि उनके दिल्ली दौरे का मंत्रिमंडल विस्तार से कोई संबंध नहीं है। उत्तराखंड में अधिकतम 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल हो सकता है। मार्च 2017 में, जब त्रिवेंद्र ने सत्ता संभाली उस वक्त मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत 10 सदस्यीय मंत्रिमंडल ने शपथ ली। हालांकि तब समझा जा रहा था कि वह जल्द खाली दो सीटों को भरेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। जून 2019 में मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्य प्रकाश पंत के असामयिक निधन से मंत्रिमंडल में एक और स्थान खाली हो गया। पंत के पास वित्त, संसदीय कार्य, आबकारी, पेयजल जैसे अहम मंत्रालय थे, जो मुख्यमंत्री के पास चले गए। इससे मुख्यमंत्री के पास तमाम महत्वपूर्ण महकमे हो गए। उस वक्त भी मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें चलीं, मगर फिर ये केवल अटकल ही बनकर ही रह गईं। इसी साल फरवरी में पहली बार स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जल्द मंत्रिमंडल विस्तार की बात कही। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय संगठन से इसके लिए हरी झंडी भी ले आए थे। उस समय मुख्यमंत्री ने कहा था कि मार्च में विधानसभा के बजट सत्र के बाद नए मंत्री बनाए जा सकते हैं। इसके बाद मार्च में कोविड-19 के कारण देशव्यापी लॉकडाउन हुआ तो मंत्रिमंडल विस्तार टल गया। कुछ वक्त पहले मुख्यमंत्री ने फिर मंत्रिमंडल विस्तार के संकेत दिए। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने भी मंत्रिमंडल विस्तार की पैरवी की। तब चर्चा थी कि कोरोना संक्रमण के मामले कम होने पर नवरात्र में मुख्यमंत्री काफी समय से इंतजार कर रहे पार्टी विधायकों में से किन्हीं तीन को अपनी टीम में शामिल करेंगे।