यूसीडीएफ में कांग्रेस की पुरानी योजनाओं को नया रूप दे रही भाजपा
हल्द्वानी : उत्तराखंड सहकारी डेयरी फेडरेशन में चेयरमैन पद पर हुए फेरबदल के बाद अब यूसीडीएफ में चल रही कांग्रेस के जमाने की योजनाओं को नया रूप देने की है। दुग्ध उत्पादकों के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में शुरू की गई दुग्ध मूल्य प्रोत्साहन योजना को अब भाजपा अपने रंग में रंगेगी। पूर्व में इस योजना को बंद करने का संकेत दे चुके विभागीय मंत्री ने इस योजना को दोबारा शुरू करने को हरी झंडी दिखा दी है।
प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए वर्ष 2014 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दुग्ध उत्पादकों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति लीटर दूध पर चार रुपये प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की थी, लेकिन जून 2016 के बाद योजना के तहत दुग्ध उत्पादकों को दी जाने वाली तकरीबन दस करोड़ की धनराशि का भुगतान नहीं किया गया।
सत्ता बदलने के बाद वर्तमान भाजपा सरकार ने भी पिछला बकाया देने से हाथ खड़े कर लिए। यूसीडीएफ में कांग्रेस समर्थक चेयरमैन अर्जुन सिंह रौतेला के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बाद भाजपा समर्थक राजवीर सिंह फेडरेशन के नए चेयरमैन बने। उनके चेयरमैन बनने के बाद देहरादून में हुई डेयरी विभाग की पहली समीक्षा बैठक में डेयरी विकास राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने दोबारा प्रोत्साहन योजना लागू करने की घोषणा की, जबकि पिछले बकाए पर स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं हुई है।
इसी तरह नैनीताल, उधमसिंहनगर और हरिद्वार जिले में प्राथमिक स्तर की सहकारी दुग्ध समितियों में डाटा प्रोसेसिंग मिल्क कलेक्शन यूनिट लगाए जाने का काम पूर्ववर्ती सरकार में शुरू किया गया। समीक्षा बैठक में विभागीय मंत्री ने इस योजना को भी दोबारा शुरू करने की घोषणा की, जबकि यह योजना पहले से ही चल रही है।
दुग्ध समितियों के सचिवों को मानदेय देने की योजना भी पिछली सरकार में शुरू की गई। सिर्फ इतना ही नहीं कांग्रेस के समय शुरू की गई गंगा गाय योजना के तहत दूसरे प्रदेशों से तीन साल में उन्नत नस्ल के दस हजार दुधारू पशु खरीदने का लक्ष्य रखा गया। इस योजना को भी भाजपा सरकार ने ओवरटेक कर लिया। यूसीडीएफ में पिछली सरकार की योजनाओं को पूरी तरह भाजपा अपने रंग में रंगने की तैयारी में है।
यूसीडीएफ के चेयरमैन राजवीर सिंह का कहना है कि कांग्रेस सरकार में दुग्ध मूल्य प्रोत्साहन योजना तो शुरू की गई, लेकिन इसके लिए बजट की व्यवस्था नहीं की गई, अब इसे प्रॉपर तरीके से चलाने के लिए बजट की व्यवस्था की जाएगी, जिससे दुग्ध उत्पादकों को दिक्कतें न हो।