बिहार : बाढ़ की विभीषिका चारों तरफ बर्बादी ही बर्बादी दिख रही
बिहार में कई इलाकों में बाढ़ का पानी उतरने लगा है तो कई नदियां अभी भी उफान पर हैं. चारों तरफ बर्बादी ही बर्बादी दिख रही है. जहां पानी निकल गया या फिर कम हो गया, वहां लोग रोजमर्रा की जिंदगी जीने की जुगत में जुट गए हैं.बिहार में बाढ़ का पानी तो गिरने लगा है और जिंदगी फिर से पटरी पर लौटने लगी है लेकिन दुश्वारियां बढ़ गईं हैं. खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो गई तो घरों में रखा अनाज खराब हो गया. यहां तक कि पशुओं के लिए रखा चारा भी सड़ गया. हर तरफ दुर्गंध, पेयजल संकट, सांप व विषैले कीड़े-मकोड़े तथा संक्रमण फैलने का खतरा. आपदा प्रबंधन विभाग की हालिया रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 38 में से 16 जिले बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं. इनमें भागलपुर, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, पटना, कटिहार, सारण, वैशाली, भोजपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, बेगूसराय, लखीसराय, सहरसा, पूर्णिया व मुंगेर शामिल हैं. इन जिलों के 93 प्रखंडों की 682 पंचायतों के 2404 गांवों की करीब 38 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित है. राहत व पुनर्वास के लिए बाढ़ प्रभावितों को कहीं सरकारी सहायता मिली तो कहीं वह ग्रामीण राजनीति की भेंट चढ़ गई. ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक प्रदेश में प्रति परिवार छह हजार रुपये की सहायता राशि लगभग पांच लाख लोगों के खाते में भेजी जा चुकी है. बाढ़ पीड़ितों के लिए सरकार राहत कैंप व सामुदायिक किचन चला रही है. हर बार की तरह इस बार भी बाढ़ से हुई क्षति का आकलन करने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से टीम भेजने का आग्रह किया है. उम्मीद की जाती है कि शीघ्र ही केंद्रीय टीम बिहार आकर क्षति का जायजा लेगी. हालांकि राज्य सरकार ने भी अपने स्तर यह प्रक्रिया शुरू कर दी है. अचानक आया पानी, सब कुछ हो गया बर्बाद बाढ़ के दिनों में यह अनुमान लगाना कठिन होता है कि पानी कब आ जाएगा. नेपाल में बारिश होती है और इधर बिहार में गंगा, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, सोन, अधवारा और महानंदा जैसी नदियों का जलस्तर बढ़ने लगता है. नदियां विकराल रूप धारण करने लगती हैं, फिर अचानक कोई बांध या तटबंध टूटता है और पानी घरों में घुस जाता है. समस्तीपुर जिले के मोहनपुर निवासी रामप्रवेश सिंह कहते हैं, “पानी आने का अंदेशा तो था, लेकिन सोचा नहीं था कि इतनी जल्दी और इतना पानी आ जाएगा.