बवाना उपचुनाव: नतीजे तय करेंगे भाजपा-AAP व कांग्रेस की भविष्य की राजनीति
नई दिल्ली । बवाना विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव का परिणाम सोमवार को घोषित कर दिया जाएगा। बवाना उपचुनाव में जीत-हार से दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन अरविंद केजरीवाल की साख जरूर दांव पर लगी है। दांव पर सिर्फ AAP की ही नहीं, बल्कि भाजपा के लिए चुनाव जीतना चुनौती है, क्योंकि पूर्व विधायक वेद प्रकाश इसी सीट से इस्तीफा देकर भाजपा से चुनाव लड़े हैं।
जीत-हार से बढ़ाएगा पार्टियों का मनोबल
राजनीति के जानकार मानते हैं कि यह उपचुनाव जीत-हार के लिहाज से काफी अहम है, क्योंकि जीत से एक पार्टी का मनोबल आसमान पर होगा तो हारने वाली पार्टी के कार्यकर्ता निराश होंगे। निराशा की कतार में एक नहीं दो पार्टियां होंगी-दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाली।
गौरतलब है कि फरवरी 2015 में आम आदमी पार्टी सरकार बनने के बाद यह दूसरा उपचुनाव है, जिसे तीनों ही पार्टियां जीतना चाहेंगीं। इससे पहले राजौरी गार्डन उपचुनाव में भाजपा-अकाली गठबंधन को जीत मिली थी, जबकि AAP के उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई थी।
वहीं, कांग्रेस ने अपने पुराने वोटबैंक को वापस पाने में सफलता पाई थी। ऐसे में तीनों दलों के पास पाने को बहुत कुछ है और खोने को कुछ नहीं है।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस इस उपचुनाव में भी राजौरी गार्डन उपचुनाव का प्रदर्शन दोहरा सकती है। वहीं, जीती सीट पर हार AAP के लिए झटका साबित होगा। उधर, माना जा रहा है कि अगर भारतीय जनता पार्टी यह सीट जीतती है, तो उसे 2020 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में सकारात्कम ऊर्जा मिलेगी।
माना जा रहा है कि एमसीडी चुनाव में मनमाफिक नतीजा नहीं मिलने के बाद अब आप इस सीट को गंवाना नहीं चाहती है, तभी बवाना उपचुनाव पर अरविंद केजरीवाल की सीधी नजर रही और उन्होंने यहां पर जमकर पार्टी के पक्ष में प्रचार किया। यही वजह है कि आम आदमी पार्टी सुप्रीमो ने कई बार बवाना का दौरा किया था।
बवाना विधानसभा
जिला : उत्तरी-पश्चिमी दिल्ली
राज्य : दिल्ली
सीट : आरक्षित
सीट पर एक नजर
-बवाना विधानसभा सीट साल 1993 से अस्तित्व में आई।
-1993 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के चांद राम जीते थे।
– 1998 के अलावा 2003 और 2008 में लगातार कांग्रेस के सुरेंदर कुमार जीते।
– 2013 में बीजेपी की वापसी हुई और गुग्गन सिंह जीते।
– 2015 में आम आदमी पार्टी की लहर पर सवार होकर वेद प्रकाश विधानसभा पहुंचे।