बर्थडे स्पेशल: संजय दत्त से लेकर दिलीप कुमार तक, बाल ठाकरे का फिल्मी दुनिया से था गहरा नाता

नई दिल्ली: पेशे से कार्टूनिस्ट रहे बाल ठाकरे ने महाराष्ट्र में शिवसेना का गठन प्रखर हिंदू राष्ट्रवादी नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई. वह मराठी में अपने संगठन का मुखपत्र ‘सामना’ निकाला करते थे, जो आज भी प्रकाशित हो रहा है. उनका फिल्मी दुनिया से गहरा नाता रहा है. अभिनेता संजय दत्त जब टाडा कानून के तहत मुश्किल में घिरे थे, उस समय में उन्हें बाल ठाकरे से हर संभव मदद मिली थी. प्रसिद्ध अभिनेता दिलीप कुमार यानी यूसुफ खान और बाल ठाकरे के बीच एक वक्त गहरी दोस्ती थी. ठाकरे ने एक इंटरव्यू में कहा था, दिलीप साहब मेरे साथ शाम की बैठकी लगाया करते थे, लेकिन बाद में पता नहीं क्या हुआ कि वो मुझसे दूर होते चले गए.

बाल ठाकरे का जन्म पुणे शहर में 23 जनवरी, 1926 को हुआ था. उन्हें लोग प्यार से ‘बाला साहेब’ भी कहते थे. उनके पिता थे केशव सीताराम ठाकरे और माता रमाबाई केशव ठाकरे थीं. नौ भाई-बहनों में बाल ठाकरे सबसे बड़े थे. उनका परिवार ‘मराठी चन्द्रसैन्य कायस्थ प्रभु’ जाति से संबंध रखता था. बाल ठाकरे के पिता केशव ठाकरे सामाजिक कार्यकर्ता थे. उन्होंने सन् 1950 में संयुक्त महाराष्ट्र अभियान चलाया था और बंबई (मुंबई) को भारत की राजधानी बनाने का प्रयास करते रहे. मुंबई देश की राजधानी भले ही न बन सकी, लेकिन आर्थिक राजधानी जरूर बन गई.

बाला साहेब ठाकरे ने मीना ठाकरे से विवाह किया था. उनके तीन पुत्र हुए- बिंदुमाधव ठाकरे, जयदेव ठाकरे और उद्धव ठाकरे. बाल ठाकरे सख्त और कट्टर राजनेता माने जाते थे. दिलचस्प बात यह थी कि वह पेशे से एक कार्टूनिस्ट थे. यह भी अचरज की बात है कि हास्य को कला में पिरोने वाला एक शख्स राजनीति में उतना ही निर्मम माना जाता था. ठाकरे कुछ समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) शाखा में भी जाया करते थे.

28 जुलाई, 1999 को निर्वाचन आयोग ने बाल ठाकरे के मतदान करने पर प्रतिबंध लगाया था और 11 दिसंबर, 2005 के आदेश में उन्हें छह साल तक किसी भी चुनाव में शामिल होने से मना किया था, क्योंकि उन्हें धर्म के नाम पर वोट मांगते पाया गया था. प्रतिबंध खत्म होने के बाद उन्होंने पहली बार बीएमसी चुनाव में मतदान किया था. ठाकरे ने दावा किया था कि शिवसेना मुंबई में रहने वाले हर मराठी माणूस की मदद करेगी. जिस समय महाराष्ट्र में बेरोजगारी चरम पर थी, बाला साहेब ने महाराष्ट्र का विकास करने की ठानी और वहां के लोगों को कई तरह से रोजगार उपलब्ध करवाए.

हृदयरोग के कारण 17 नवंबर, 2012 को अचानक बाला साहेब ठाकरे का निधन हो गया. उनके निधन की खबर सुनते ही उनके निवास स्थान ‘मातोश्री’ पर मुंबईवासी उमड़ पड़े. तेज रफ्तार से चलने वाला मुंबई अचानक शांत हो गया. पूरे महाराष्ट्र में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया और महाराष्ट्र पुलिस के 20000 पुलिस आफिसर और रिजर्व पुलिस बल के 15 दल शांति व्यवस्था बनाने में जुटे रहे.

18 अक्टूबर, 2012 को उनकी अंत्येष्टि शिवाजी पार्क में की गई. महाराष्ट्र में लोग बाला साहेब को ‘टाइगर ऑफ मराठा’ के नाम से जानते थे. वह पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिनके निधन पर लोगों ने बिना किसी नोटिस के अपनी मर्जी से पूरे मुंबई को बंद रखा था.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *