लोकपाल को लेकर मोदी और मनमोहन एक जैसे, अन्ना के कार्यक्रम में तिरंगे की अनदेखी
बुलंदशहर । समाजसेवी अन्ना हजारे ने बुधवार को औरंगाबाद सभा में कहा कि लोकपाल बिल को लेकर मोदी सरकार का रवैया भी मनमोहन सरकार वाला है। लोकपाल और किसानों के मुद्दों को लेकर 23 मार्च से दिल्ली में आंदोलन करेंगे। इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए पूरे देश में भ्रमण कर रहे हैं। अन्ना हजारे ने कहा कि स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी के जीवन से उन्होंने प्रेरणा ली है। पच्चीस साल की उम्र में ठान लिया था कि देश के लिए जीना है। हालांकि इससे इतर अन्ना के कार्यक्रम में तिरंगे झंडे की जगह-जगह अनदेखी नजर आई।
अन्ना ने कहा कि हम जब तक जीएंगे देश, गांव और समाज हित के लिए का कार्य करेंगे। करोड़ों रुपए का अवार्ड मिला उसको भी ट्रस्ट में लगा दिया। मंदिर में रहता हूंं, वहां वह अनुभव मिलता है जो करोड़पति को भी नहीं मिलता होगा। यदि सही आनंद लेना है तो धन का लालच त्यागना होगा।अन्ना ने कहा कि वह पिछले 35 साल से लोकपाल बिल के लिए आंदोलन कर रहे हैं। मोदी सरकार को लोकपाल नियुक्त करने के लिए तीस पत्र लिखे, लेकिन एक का भी जवाब नहीं आया। मनमोहन सरकार को भी 70 पत्र लिखे थे। जवाब न आने पर आंदोलन किया था। अब फिर से वही समय आ गया है। इसलिए 23 मार्च से दिल्ली के रामलीला मैदान में आंदोलन शुरू किया जाएगा। इसमें किसानों की आवाज भी उठाई जाएगी।
अन्ना के कार्यक्रम में तिरंगे की अनदेखी
अन्ना हजारे का कार्यक्रम हो और देशभक्ति से लबरेज लोग तिरंगा लेकर न आए, ऐसा नहीं हो सकता। औरंगाबाद में भी लोग तिरंगे झंडे के साथ नजर आए, लेकिन कई लोगों ने झंडे की अनदेखी की। कार्यक्रम में तिरंगा कहीं जमीन पर पड़ा नजर आया तो कहीं मेज पर। हालांकि कार्यक्रम संचालक बार-बार मौजूद लोगों ने अपील कर रहे थे कि वह तिरंगे को ऊपर उठाकर रखें, यह देश की आन-बान-शान है। इसके लिए संचालक ने प्रशासनिक लोगों से भी अपील कि वह इस ओर नजर रखें। इसके बाद भी भ्रष्टाचार मिटाने की आवाज बुलंद करने वाले कई लोगों ने तिरंगे की अनदेखी की।