हैंडलूम एक्सपो में राजस्थानी खाने की धूम तो लोकगायकों की प्रस्तुतियों पर झूमे लोग.
दून एक्सपो में दिन प्रतिदिन उमड़ती भीड़ मेले की रौनक बढ़ा रही है।आज रविवार को मेले में बहुत लोगो की भीड़ ने अपनी खरीदारी की. मेले में लगा हुआ हर एक चीज़ लोगों को बहुत भा रहे है फिर चाहे वह खाना हो या हर एक्सपो में हर एक चीज़ लोगो का मन बहुत लुभा रहे है। फ़ूड की बात करें तो राजस्थान फ़ूड भोजनालय जोकि राजस्थानी खाने से भरपूर है, इस स्टॉल पर लोगों की भीड़ उमड़ती दिख रही है। राजस्थानी फूड्स ने अपने स्टॉल पर राजस्थान की सभी प्रसिद्ध व्यंजनों को मेन्यू में रखा है और जो लोग तो राजस्थान जा नहीं सकते वो एक्सपो में राजस्थानी व्यंजन का आनंद ले सकते है इस मेले में राजस्थान से आये हुए कारीगर ने अपने हांथो से लाज़वाब व्यंजन बना कर लोगों का मन मोह रहे है। यह स्टॉल बाबूलाल का है जो राजस्थान के नाहोर के रहने वाले है उनका कहना है कि वह हर साल यह स्टॉल लगाते है और उनके स्टॉल परहर साल बहुत भीड़ बहुत ही लगती है । बात उनके व्यंजनों की करे तो उनके स्टाल पर राजस्थानी थाली बहुत ही प्रसिद्ध है और इस थाली में दालबाटी,चूरमा,गट्टे की सब्जी, बाजरा रोटी, मिस्सी रोटी, लस्सन की चटनी, मूंगदाल का हलवा है जो लोग बहुत ही चाव से खा रहे है। यह थाली 250 प्रति थाली के दाम में उपलब्ध है। इसके अलावा कारीगर भवरलाल और राजू का कहना है कि वह थाली के अलावा मेन्यू मे राजस्थान की स्पेशल प्याज कचोरी, मूंगदाल कचोरी, जोध पूरी मिर्ची बड़ा, बीकानेरी जलेबी, मूंगदाल की पकोड़ी, मावा कचोरी भी उपलब्ध है और यह बहुत ही स्वादिष्ट है। आज रविवार को विनय कुमार सहायक निर्देश बुनकर सेवा केंद्र चमोली और मेला अधिकारी के.सी चमोली के साथ मिलकर हैंडलूम स्टालों का निरक्षण किया गया। श्री विनय कुमार द्वारा हैंडलूम मार्का एवं हैंडलूम प्रोडक्शन को व्यवस्थित देख संतुष्टि व्यक्त की गयी । इस मौके पर श्री कुँवर सिंह बिष्ट और कहकश नूरी उपस्थित रहे।आज उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक व् जागर सम्राट पदम् विभूषण से सम्मानित डा. प्रीतम सिहं भरतवाण ने भी एक्सपो में भृमण कर खरीदारी भी की और एक्सपो उत्पादों की काफी तारीफ की.
सायंकाल में एक्सपो में उत्तराखंडी संस्कृति से जुड़े कलाकारों ने भी अपनी रंगारंग प्रस्तुतियां दी जिनमे नवज्योति संस्कृति एवं समाजिक देहरादून संस्था के प्रदीप असवाल,रेनू बाला के कुमाउनी गीत तेरी रंगेली पिछोड़ी कमो,हाय कखडी छिल म, लूण पिसे सिल माँ,धन मेरु पहाड़ और तांदी जौनसारी लोकगीतों का लोगो ने खूब आनंद उठाया।