केजरीवाल ने विस के जरिये निकाला था सरकार चलाने का रास्ता, LG ने लगा दिया ब्रेक
नई दिल्ली । केंद्र सरकार और उपराज्यपाल के साथ बिगड़ते रिश्तों के बाद सरकार चलाने में हो रही परेशानी के चलते केजरीवाल सरकार ने विधानसभा के जरिये सरकार चलाने का रास्ता निकाला था, लेकिन अब उस पर भी एलजी ने ब्रेक लगा दिया है। अधिकारियों द्वारा आदेशों के पालन में आनाकानी करने पर विधानसभा की समितियों का इस्तेमाल कर दबाव बनाने की कोशिश की गई।
मानसून पूर्व नालों की सफाई के मुद्दे पर विधानसभा की समिति ने जलभराव को लेकर पीडब्ल्यूडी के सचिव अश्विनी कुमार की जवाबदेही तय करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश जारी किए थे।
विधानसभा की स्टैंडिंग कमेटी ने हाल ही में डेंगू और चिकनगुनिया को लेकर जागरूकता के पोस्टर लगाने के मामले में अनियमितता बरतने के आरोप में सूचना प्रसारण विभाग के अधिकारियों को समन जारी किया। इसके बाद समिति के अध्यक्ष व आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि विभाग ने काम पूरा कर लिया है।
विधानसभा के पास असीम शक्तियां हैं और विधायक होने के नाते वह जनता के प्रति जवाबदेह हैं। वक्त बीतने के साथ-साथ विधायकों को विधानसभा के अधिकार और उससे जुड़ी शक्तियों के बारे में पता चल रहा है, जिसका फायदा जनता को मिलेगा।
विधानसभा की समितियों के कामकाज पर विपक्ष में बैठी भाजपा व अन्य राजनीतिक दल शुरू से ही प्रश्न उठाते रहे हैं। नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता के अनुसार आप सरकार के कई फैसले असंवैधानिक थे, जिस वजह से अधिकारी उनके पालन में आनाकानी करते थे। ऐसे आदेशों का पालन कराने के लिए उन्हें विधानसभा की संबंधित समितियों के पास भेज दिया जाता था।
जून में विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप से आहत दो व्यक्तियों ने दर्शक दीर्घा से कागज फेंक कर विरोध दर्ज कराया था।
विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने समिति के सदस्यों की राय पर दोनों शख्स जगदीप राणा और राजन मदान को सत्र में खलल डालने के आरोप में एक महीने के लिए जेल भेजने की सजा सुनाई थी। निगमायुक्तों समेत अन्य एजेंसियों के प्रमुखों को समितियों ने पूछताछ के लिए कई बार तलब किया।
भाजपा विधायक ओपी शर्मा करीब डेढ़ साल से सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले रहे हैं, क्योंकि उन्हें महिला विधायक के खिलाफ अपशब्द कहने के आरोप में समिति ने विधानसभा के तीन सत्र से बाहर करने का आदेश दिया है। हालांकि इस आदेश को विधायक ने अदालत में चुनौती दी है और मामला विचाराधीन है।