अखिलेश ने चहेतों को बांटा था यश भारती, कहा- योगी आदित्यनाथ भी बांट लें
लखनऊ । समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के चेहेतों को यश भारती सम्मान देने का मामला तूल पकडऩे के बाद अब वह कह रहे है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पुरस्कार बांट लें, कौन उनको रोक रहा है। अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान अपने घर के डाक्टर के साथ पुरोहित व अन्य चेहतों को यश भारती सम्मान रेवड़ी की तरह बांटा था।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इस कृत्य का खुलासा आरटीआइ में हुआ है। अखिलेश यादव ने इस दौरान 142 लोगों को यश भारती सम्मान दिया। अनुमान के अनुसार, सम्मान 200 से करीब लोगों को दिया गया।सबसे बड़ा खुलासा यश भारती सम्मान पाने वालों की योग्यता को लेकर हुआ है। इंडियन एक्सप्रेस की आरटीआइ के जवाब में सरकार ने बताया कि 142 लोगों को यश भारती सम्मान से सम्मानित किया। इस यश भारती में 11 लाख रुपये की पुरस्कार राशि और 50 हजार रुपये मासिक पेंशन दी जाती थी।
अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान यश भारती पुरस्कार पाने वालों में उनके दोस्त, अफसर व समाजवादी पार्टी के छोटे-बड़े नेताओं के परिवार के लोग तक शामिल हैं। रिपोर्ट में विभिन्न श्रेणियों के तहत पुरस्कार पाने वालों के नाम की अनुशंसा और संबंधित क्षेत्र में उनकी उपलब्धियां काबिलेगौर हैं। यश भारती पुरस्कार आधिकारिक तौर पर सूबे के संस्कृति मंत्रालय के तहत दिया जाता था।
इस आरटीआई के खुलासे के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की आज आजमगढ़ में प्रतिक्रिया सामने आई हैं। अखिलेश यादव ने अपने हर फैसले को जायज ठहराते हुए उन्होंने कहा कि अब केंद्र में नरेंद्र मोदी तथा प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार हैं, आप भी अपने लोगों को अवॉर्ड दे सकते हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि हम तो महीना पेंशन के रूप में पचास हजार रुपया दे रहे थे, आप लोग इसको बढ़कर एक लाख रुपये तक कर लो।
अखिलेश यादव के कार्यकाल में यशभारती पुरस्कार के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने अपने नाम की अनुशंसा की थी। इसके लिए उन्होंने मेघालय में दो महीने लम्बे फील्डवर्क को अपनी उपलब्धि के रूप दर्शाया। अपनी सरकार के कार्यकाल के अंतिम वर्ष में तो यश भारती सम्मान कार्यक्रम के दौरान ही मंच से लोगों का नाम लेकर उनको सम्मानित किया गया। उनके नाम को बाद में सूची में शामिल कराया गया।
अखिलेश यादव ने अपने चाचा और एक संपादक के सुझाये गए नामों को भी जगह दी। इसकी स्थापना 1994 में मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री रहते की थी। बाद में इसको अन्य दलों की सरकार ने बंद कर दिया लेकिन जब अखिलेश यादव ने सत्ता संभाली को 2012 से 2017 तक यश भारती सम्मान दिए। पुरस्कार आधिकारिक तौर पर राज्य का संस्कृति मंत्रालय देता है। अखिलेश सरकार में कई लोगों ने इसके आवेदन सीएम ऑफिस को भेजे।
पुरस्कार के लिए नामों के चयन में भाई-भतीजावाद जमकर चला।इसके लिए मानदंड तय नहीं था। एक को आजम खान ने जबकि दो नाम अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने बताये थे। हिन्दुस्तान टाइम्स के लखनऊ संस्करण की स्थानीय संपादक सुनीता एरन के मुख्यमंत्री कार्यालय को ईमेल ने अनुशंसित उम्मीदवार को भी यश भारती सम्मान दिया गया। ïराजा भैया के सुझाये गए दो नामों को भी सम्मान दिया गया।
आईएएस की बेटी को भी दिया गया सम्मान
योगी आदित्यनाथ 2015 में आजीवन 50 हजार रुपये मासिक पेंशन देने के प्रावधान की समीक्षा कर रही है। एक आईएएस की 19 साल की बेटी को भी यश भारती पुरस्कार दिया गया था। संस्कृति विभाग की संयुक्त निदेशक अनुराधा गोयल ने बताया कि संस्कृति विभाग के निदेशक ने पुरस्कारों की समीक्षा का आदेश दिया गया है।
इनकी उपलब्धियों पर करें गौर करें
शिखा पाण्डे : दूरदर्शन की एक्सटर्नल कोऑर्डिनेटर के नाम की अनुशंसा लखनऊ के तत्कालीन एडीएम जय शंकर दुबे ने की थी।
अशोक निगम : संप्रति समाजवादी पार्टी की पत्रिका समाजवादी बुलेटिन का कार्यकारी संपादक।
रतीश चंद्र अग्रवाल : मुख्यमंत्री के ओएसडी ने तीन सितंबर 2016 को अपने नाम की ही अनुशंसा की जिन्हें पुरस्कार और पेंशन भी दिया गया।
मणिन्द्र कुमार मिश्रा : सपा नेता मुरलीधर मिश्रा के बेटे हैं। समाजवादी मॉडल के युवा ध्वजवाहक नामक किताब भी अखिलेश के ऊपर लिखी।
ओमा उपाध्याय : ज्योतिष व मनोविज्ञान आधारित विशेष वस्त्र बनाने की युगांतकारी तकनीक।
अर्चना सतीश : यश भारती पुरस्कार समारोह में ही मंच पर अखिलेश यादव ने मंजूरी दे दी थी। जो कि एक कार्यक्रम का संचालन कर रही थीं। उपलब्धि के रूप में प्रतिष्ठित सैफई महोत्सव का तीन साल से संचालन।
सैफई महोत्सव में गीत गाने पर सम्मान
सुरभी रंजन: मुख्य सचिव रहे आलोक रंजन की पत्नी।
शिवानी मतानहेलिया: पूर्व कांग्रेसी नेता जगदीश मतानहेलिया की बेटी।
हेमंत शर्मा: हाल ही में इंडिया टीवी से इस्तीफा देने वाले पत्रकार। खुद को महाकुम्भ कवर करने वाला एकलौता पत्रकार बताया।
एनएलयू दिल्ली में कानून की पढ़ाई कर रही स्थावी अस्थाना को भी पुरस्कृत किया गया। उनके पिता हिमांशु कुमार आईएएस रैंक के अफसर हैं और यूपी सरकार के प्रधान सचिव के पद पर थे। अस्थाना को पुरस्कार घुड़सवारी के लिए मिला।
नवाब जफर मीर अब्दुल्लाह: नवाब को खेल वर्ग में यश भारती मिला। कारोबारी और खुद को लखनऊ का बताया।
काशीनाथ यादव : समाजवादी पार्टी के सांस्कृतिक सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष, कई सांस्कृतिक कार्यक्रम में गीत गाने। 1997 में सैफई महोत्सव में भोजपुरी लोकगीत गाने का पुरस्कार भी मिला।
2016 में यश भारती सम्मान कार्यक्रम के संचालन की कमान अर्चना सतीश ने संभाल रखी थी। इस संचालन में उन्होंने कई बार सीएम अखिलेश यादव की तारीफ में कसीदे पढ़े। इससे सीएम ने खुश होकर उन्हें भी यश भारती सम्मान देने का एलान कर दिया। उस समय प्रतीक के रूप में देने के लिए प्रतीक चिन्ह भी नहीं था। सीएम ने पहले अर्चना को गुलदस्ता भेंट किया फिर शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इसके बाद हॉल में यह चर्चा शुरू हो गई कि आखिर इस एंकर ने किया क्या है। सवाल उठने लगें कि किस विशेषता के चलते इन्हें यश भारती सम्मान दिया जा रहा है।
राजपुरोहित को भी सम्मान
पुरस्कार पाने वालों में ज्योतिष विशेषज्ञ और राजपुरोहित पंडित हरि प्रसाद मिश्रा भी शामिल थे। हरि प्रसाद मिश्रा को इसलिए सम्मान दिया गया क्योंकि वह यादव परिवार के पंडित हैं और उन्हें राजपुरोहित का दर्जा प्राप्त है। इनके बारे में बताया गया कि इन्हें ज्योतिष का ज्ञान है। गरीब लड़कियों की शादी का अनुष्ठान मुफ्त में कराया था। माना जा रहा है कि समाजवादी परिवार का करीबी होने के कारण इन्हें सम्मान दिया गया।
परिवार के फैमिली डॉक्टर को यश भारती यादव परिवार के एक फैमिली डॉक्टर को भी यश भारती देने पर खूब सवाल उठें। डॉ. रतीश चन्द्र अग्रवाल को भी यश भारती सम्मान से नवाजा गया। इनकी विशेषता यह है कि यह यादव परिवार के फैमिली डॉक्टर हैं और मुलायम के करीबी माने जाते हैं।
मंत्रियों की सिफारिश पर यश भारती
सूचना के अधिकार के जरिए मिली जानकारी के अनुसार कम से कम 21 लोगों को सीधे सीएम कार्यालय में आवेदन भेजने के बाद यश भारती पुरस्कार दिया गया था। इतना ही नहीं कई ऐसे नाम भी शामिल हैं, जिनकी सिफारिश समाजवादी पार्टी के नेताओं ने की थी। इनमें अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव, चाचा शिवपाल यादव, पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान, अखिलेश सरकार में मंत्री रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया जैसे नाम शामिल हैं। कुछ लोगों ने खुद ही अपने नाम का प्रस्ताव भेजा।
मुलायम ने शुरू किया था यश भारती
यश भारती पुरस्कार की स्थापना अखिलेश यादव के पिता और यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव ने 1994 में मुख्यमंत्री रहते हुए की थी। बीएसपी वï बीजेपी सरकारों ने इनको बंद कर दिया था।