जागरूकता की कमी के चलते बेमानी साबित हो रहे हैं NGT के निर्देश, समस्या है प्रदूषण
नई दिल्ली । पिछले हफ्ते हुई बारिश से भले ही राजधानी में प्रदूषण को कुछ कम महसूस किया गया हो, लेकिन हकीकत में प्रदूषण के स्तर में कोई विशेष कमी नहीं आई है। राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए इसे फैलाने के लिए जिम्मेदार हर माध्यम पर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की नजर है। फिर चाहे पराली से होने वाला प्रदूषण हो, सड़क किनारे फैली धूल हो या कूड़े को इकट्ठा कर जलाए जाने से फैलता प्रदूषण हो।
उत्तरी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। बदलते मौसम के कारण कई बार वाहन चालकों को सड़क किनारे धुंध सा प्रतीत होता है, लेकिन असलियत में वह धुंध नहीं बल्कि हवा में छिपी धूल होती है जो नमी की वजह से ऊपर उठने के बजाए वातावरण में तैरती रहती है। ऐसे में प्रदूषण को कम करने के लिए एनजीटी के आदेश का पालन बेहद जरूरी हो गया है।
उत्तरी दिल्ली के रोहिणी, प्रशांत विहार, शालीमार बाग, केशवपुरम, आदर्श नगर, आजादपुर, भलस्वा, बादली समेत कई ऐसे इलाके हैं जहां कूड़े को धड़ल्ले से जलाया जा रहा है, जिससे प्रदूषण फैल रहा है लेकिन प्रशासन ने इसकी रोकथाम के लिए कोई सख्त कदम नहीं उठाए हैं। ऐसे में प्रदूषण की रोकथाम के लिए किए जाने वाले प्रयासों को यह गतिविधियां अंगूठा दिखा रही हैं। इसके लिए लोगों में जागरूकता का भी अभाव देखा जा रहा है।
खुले में कूड़ा जलाने पर नहीं लगाम
आज भी खुलेआम जलाया जा रहा कूड़ा-कचरा प्रदूषण के स्तर को बढ़ा रहा है। एनजीटी ने कूड़े में आग न लगाने के सख्त आदेश दिए थे। इसके बावूजद जगह-जगह कूड़े को इकट्ठा कर उसमें आग लगा दी जाती है। लोग अपनी सुविधा के लिए ऐसा करते हैं, लेकिन इसके कारण होने वाले प्रदूषण का अंदाजा किसी को भी नहीं रहता। इतना ही सड़क किनारे, मार्केट और पार्कों में कूड़े को जलाने की गतिविधियां जारी हैं, लेकिन इन कूड़े में मौजूद प्लाष्टिक की थैलियां, सामानों के रैपर और कई प्रकार की रासायनिक चीजों से बने बेकार सामान होते हैं, जिसे जलाने के बाद निकलने वाला विषैला धुआं वायु को और अधिक प्रदूषित करता है।
पेड़ों को पहुंच रहा नुकसान
विभिन्न शहरी और ग्रामीण इलाको में कूड़े को जलाते वक्त इस बात का भी ध्यान नहीं रखा जाता कि उसके आसपास कोई पेड़ या हरियाली तो मौजूद नहीं है। ऐसे में पेड़ की जड़ों के आसपास कूड़े के ढेर में आग लगा दी जाती है। इसकी वजह से हवा में दूषित वायु घुल जाती है, साथ ही ऐसा करने से पेड़ की जड़ें, टहनियां और पत्तियों को भी नुकसान पहुंचता है, लेकिन इन गतिविधियों की तरफ किसी का ध्यान नहीं है जो दिल्ली में धुंध के साथ प्रदूषण की मात्रा की बढ़ाने में मददगार साबित हो रहे हैं।
News Source: jagran.com