AAP के 20 विधायकों की सदस्यता पर लटकी तलवार, जानिए क्‍यों

नई दिल्ली  । लाभ के पद मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों पर विधानसभा सदस्यता छिन जाने का खतरा मंडरा रहा है। चुनाव आयोग इस मामले गत 24 जून को इन विधायकों की याचिका खारिज कर चुका है। चुनाव आयोग मान रहा है कि आप के 20 विधायक संसदीय सचिव हैं, जो लाभ का पद है।  इसलिए आयोग ने आप विधायकों की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि  विधायकों की ओर से इस मामले की सुनवाई रोक देने वाली उनकी याचिका खारिज की जाती है।

आप विधायकों ने याचिका दी थी कि जब दिल्ली हाईकोर्ट में संसदीय सचिव की नियुक्ति ही रद हो गई है तो ऐसे में ये केस चुनाव आयोग में चलने का कोई मतलब नहीं बनता। 8 सितंबर, 2016 को दिल्ली हाइकोर्ट ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद कर दी थी। इस मामले में चुनाव आयोग  लगभग सवा माह पहले ही सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर चुका है। चुनाव आयोग में अब अंतिम सुनवाई शुरू होनी है।

आप विधायकों के पास संसदीय सचिव का पद 13 मार्च 2015 से 8 सितंबर 2016 तक था। इसलिए 20 आप विधायकों पर केस चलेगा केवल राजौरी गार्डन के विधायक जरनैल सिंह को छोड़कर क्योंकि वह जनवरी 2017 में विधायक पद से इस्तीफा दे चुके हैं। अब चुनाव आयोग में अंतिम सुनवाई शुरू होगी। आप विधायकों को अब साबित करना होगा कि वे संसदीय सचिव के तौर पर लाभ के पद पर नहीं थे।

क्या है मामला

आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसके बाद 19 जून को एडवोकेट प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति  के पास इन सचिवों की सदस्यता रद करने के लिए आवेदन किया।

राष्ट्रपति ने शिकायत चुनाव आयोग भेज दी थी। इससे पहले मई 2015 में आयोग के पास एक जनहित याचिका भी डाली गई थी। आम आदमी पार्टी के संयोजक व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के बाद उन्हें कोई लाभ नहीं दिया गया है।

इसी के साथ संसदीय सचिवों को प्रोटेक्शन देने के लिए दिल्ली सरकार ने दिल्ली विधानसभा से एक विधेयक पास कर राष्ट्रपति के पास भेजा था। मगर  राष्ट्रपति ने सरकार के इस विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। इस विधेयक में संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान था। जिसके बाद मामले को रद करने के लिए इन 21 विधायकों ने चुनाव आयोग में याचिका लगाई थी।

 

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