देहरादून में चार साल में 446 जिंदगी निगल गए ‘सरकारी गड्ढे’
देहरादून : दून की बदहाल सड़कों में मौजूद ‘सरकारी गड्ढे’ बीते चार साल में 446 जिंदगियां लील चुके हैं। जबकि 500 से ज्यादा लोग इनकी वजह से महीनों अस्पताल में कराहते रहे और इनमें से कई को तो दिव्यांगता के रूप में जीवन भर का दर्द मिला। यह चौंकाने वाले आंकड़े यातायात पुलिस के सर्वे में नुमाया हुए हैं।
यह गड्ढे कितने खतरनाक हैं, इसकी बानगी रविवार को राजपुर रोड पर हुए सड़क हादसे के रूप में फिर सामने आ गई। हालांकि, जिम्मेदारों की नींद अब भी नहीं टूटी है। गंभीर तो यह कि यातायात पुलिस ने संबंधित विभागों को दो माह पहले मई में ही गड्ढों को लेकर सचेत किया था, लेकिन उन्हें भरना तो दूर जिम्मेदारों ने उनका मुआयना करना भी जरूरी नहीं समझा।
यातायात पुलिस ने दून में लगातार बढ़ रहे सड़क हादसों को देखते हुए बीते दिनों वर्ष 2013 से 2016 के बीच हुए सड़क हादसों के कारणों की पड़ताल की। जिसमें पता चला कि दून में इस दरमियान कुल 1248 सड़क हादसे हुए। जिनमें 565 लोगों की मौत हुई और 1000 से ज्यादा घायल हो गए। पड़ताल में जो चौंकाने वाली बात सामने आई, वह यह थी कि इनमें से 967 हादसे चालक की गलती से नहीं बल्कि सड़कों पर मौजूद खामियों की वजह से हुईं।
इन हादसों में 444 लोगों की मौत हुई और रविवार को यह आंकड़ा 446 पहुंच गया। यह खामियां किसी और की नहीं बल्कि सरकारी विभागों की देन हैं। कहीं अंधे मोड़ हादसे की वजह बने तो कहीं स्पीड ब्रेकर। इसके अलावा डिवाइडर न होने और जगह-जगह बने गड्ढों की वजह से भी कई लोग असमय काल का ग्रास बन गए। यातायात पुलिस ने पीडब्ल्यूडी समेत सभी संबंधित विभागों को हादसों के आंकड़ों के साथ गड्ढों को भरने के लिए भी कहा था, लेकिन उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगा।
ये हैं जिम्मेदार
-राष्ट्रीय राजमार्ग डोईवाला
-लोक निर्माण विभाग खंड देहरादून
-लोनिवि प्रांतीय खंड देहरादून
-लोनिवि अस्थायी खंड ऋषिकेश
-लोनिवि अस्थायी खंड साहिया
-लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड
इसलिए होते हैं हादसे
-एक्सीडेंट जोन में चेतावनी बोर्ड न होना
-सड़कों पर गति सीमा के बोर्ड न होना
-संकरी सड़कों पर डिवाइडर न बनाना
-सड़कों पर मोड़ का सुरक्षित न होना
-स्पीड ब्रेकर की सूचना के बोर्ड न होना
-सड़क पर जगह-जगह बने गड्ढे
हर माह 10 मौतें
इस साल बीते सात माह में कुल 125 सड़क हादसे हुए। जिसमें 79 लोगों की मौत हो चुकी है यानी ये सड़कें हर माह 10 परिवारों को कभी न भूल पाने वाला गम दे रही हैं।
एसपी ट्रैफिक धीरेंद्र गुंज्याल का कहना है कि नेशनल व स्टेट हाईवे पर होने वाले हादसों के कारण का सर्वे कर रिपोर्ट तैयार की गई है। इससे संबंधित विभागों को अवगत करा दिया गया है।