आर्य समाज मंदिर नत्थनपुर नेहरुग्राम का 40वां वार्षिकोत्सव धूमधाम से मना
देहरादून, । आर्य समाज मंदिर अपर नत्थनपुर नेहरुग्राम ने रविवार को अपना 40वां वार्षिकोत्सव बड़े धूमधाम के साथ मनाया गया। एक दिवसीय वार्षिकोत्सव की शुरुआत प्रातः वेद मंत्रों व यज्ञ के साथ हुई। यज्ञ आर्य समाज मंदिर में उपस्थित सभी लोगों को वेदाचार्य वेदवशु शास्त्री द्वारा संपन्न कराया गया। कोरोना महामारी के चलते पिछले दो साल वार्षिकोत्सव नहीं मनाया गया था। वार्षिकोत्सव के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शत्रुघन मौर्य, नत्थनपुर पार्षद जगदीश सेमवाल व रायपुर पार्षद नरेश रावत ने शिरकत की। आर्य समाज मंदिर के संरक्षक पंडित उमेश विशारद जी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि प्रतिदिन यज्ञ करने से मन पवित्र होता है और मन को शांति मिलती है। उन्होंने कहा कि नत्थनपुर आर्य समाज मंदिर आज अपना 40वां वार्षिकोत्सव मना रहा है। हमें खुशी हो रही है कि लोग आर्य समाज से जुड़ रहे हैं और बढ़ चढ़कर प्रत्येक रविवार को यज्ञ में शामिल हो रहे हैं।पंडित उमेश विशारद ने मंदिर में उपस्थित सभी लोगों को बताया कि महर्षि दयानन्द ने चौत्र शुक्ल प्रतिपदा संवत् 1932 (सन् 1875) को गिरगांव मुम्बई में आर्यसमाज की स्थापना की थी। आर्यसमाज के नियम और सिद्धांत प्राणिमात्र के कल्याण के लिए है। संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है, अर्थात् शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति करना। उन्होंने कहा कि सभी मनुष्यों को आर्य समाज के दस नियमों का पालन करना चाहिए। जिसमें सब सत्यविद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उन सबका आदिमूल परमेश्वर है।, ईश्वर सच्चिदानन्द स्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनंत, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वांतर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है, उसी की उपासना करने योग्य है।, वेद सब सत्यविद्याओं का पुस्तक है। वेद का पढ़नादृपढ़ाना और सुननादृसुनाना सब आर्यों का परम धर्म है।, सत्य के ग्रहण करने और असत्य के छोडने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए।