2019 के मोदी की हालत 2004 के वाजपेयी की तरह?
लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे 23 मई को आने वाले हैं। इससे तीन दिन पहले एग्ज़िट पोल के नतीजे आये, एग्ज़िट पोल के नतीजे आने के बाद जहां एनडीए में खुशी की लहर दौड़ गई वहीं कांग्रेस और महागठबंधन में मातम सा फैल गया। एग्ज़िट पोल के नतीजे कितने सही हैं ये तो 23 मई को जब वोटों की गिनती शुरू होगी तब ही पता चलेगा। ये तो बस सर्वे के आधार पर दिये गये आंकड़े है। पासा पुरी तरह पलट भी सकता है और नहीं भी पलट सकता। एग्ज़िट पोल के नतीजों को अनदेखा कर कांग्रेस ने सत्ता में वापसी के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। वहीं अपना मनोबल बनाने के लिए एनडीए ने अपने सभी 36 घटकों के नेताओं लिए डिनर पार्टी का आयोजन किया।एक नजरिये से देखा जाये तो इस समय नरेंद्र मोदी के हालात हूबहू 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की तरह ही है। 2019 का ये लोकसभा चुनाव कई हद तक 2004 के लोकसभा चुनाव से मिलता-जुलता है। तब वाजपेयी सरकार 5 साल सत्ता का सुख लेने के बाद खुली आंखों से सपने देख रही थी सत्ता में वापस आने के। माहौल भी कुछ ऐसा ही था कि वाजपेयी सरकार एक बार फिर बनने जा रही है, लेकिन जब मतदाओं के वोट का पिटारा खुला तो बदलाव हो गया और सत्ता का सुख यूपीए की झोली में आ गया और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार का चमक-दमक भरा ‘इंडिया शाइनिंग’ अभियान और बहुप्रचारित ‘फ़ील गुड फैक्टर’ धराशायी हो गया था।नादेश आया था कि एनडीए को सत्ता से बेदखल किया जाए लेकिन, जनादेश में स्पष्ट बहुमत कांग्रेस को भी नहीं मिला था। 2004 में पहली बार कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनी, साथ ही कांग्रेस का गठबंधन बना यूपीए। 2004 ने यूपीए उस हालात में बना जब कांग्रेस की बागडोर एक ऐसी महिला के हाथ में थी जिसे ठीक से हिंदी बोलनी भी नहीं आती थी। लेकिन सोनिया गांधी ने अपने आप को साबित किया, और कांग्रेस को गठबंधन बनाने के हाल में लेकर आई।टीवी पर बैठे कई राजनीतिक विचारकों का मानना है कि 2004 और 2019 के आम चुनाव में कई समानताएं हैं।साल 2004 में जब लोकसभा चुनाव हो रहे थे तो इंडिया शाइनिंग और फील गुड फैक्टर का नारा पूरे देश हवा की तरह तैर रहा था। बीजेपी लगातार अपने शासन के दौरान हुए काम का बखान कर रही थी। अपने कार्य को लोगों को बताने के लिए बीजेपी ने पानी की तरह पैसा बहाया। इस तरह के चुवान प्राचार के दौरान सबको यहीं लग रहास था कि इस बार फिर एक बार एनडीए ही सत्ता में वापस आ रही है। फिर चुनाव हुए और चौकाने वाले परिणाम आए। एनडीए को जबरदस्त झटका लगा। जनता ने एनडीए को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया। बीजेपी के सारे सपने धराशाही हो गये।