2 गज की दूरी, हम सब के लिए है जरूरी : ‘निशंक’
2 गज की दूरी, हम सब के लिए है जरूरी
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करके ही खुद की और सबकी रक्षा कर सकते हैं।
मेरे काव्य संग्रह “मातृभूमि के लिए” से एक कविता “छिपा पौरुष जानो” के कुछ अंश –
चाहता हूँ तुम बढ़ो
औ’ सबको शक्ति दो,
धरा–धरा, गगन-गगन से
प्रेरणा प्रदीप्त लो |
हो धधकती ज्वाल पर
तुम कूद इसमें भाग लो,
कर कठिन परिश्रम को
बन सफल परिणाम दो |
जो छिपा पौरुष स्वयं में
तुम उसे भी जान लो,
दृढ़ता से यदि बढ़े तो
है सफलता मान लो |
– रमेश पोखरियाल ‘निशंक’