मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद अब तक 15 मरीजों ने गंवाई आंख की रोशनी
इंदौर। घातक बैक्टीरिया के संक्रमण के चलते यहां एक परमार्थिक अस्पताल में बिगड़े मोतियाबिंद ऑपरेशनों के दो और पीड़ित मरीज मंगलवार को सामने आये। इसके बाद ऑपरेशन से संबंधित आंख की रोशनी गंवाने वाले मरीजों की तादाद बढ़कर 15 पर पहुंच गई। शहर के बाणगंगा इलाके में रहने वाले मिश्रीलाल चौधरी (68) ने संवाददाताओं को बताया, मैंने पांच अगस्त को अपनी दाहिनी आंख का इंदौर नेत्र चिकित्सालय में मोतियाबिंद का ऑपेरशन कराया था। मेरी पट्टी छह अगस्त को खुली थी। तब से मुझे इस आंख से कुछ भी दिखायी नहीं दे रहा है। चौधरी ने बताया कि मोतियाबिंद ऑपेरशन बिगड़ने के बाद परमार्थिक अस्पताल के प्रबंधन ने उन्हें इस सर्जरी के बदले वसूली फीस भी लौटा दी थी। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी प्रवीण जड़िया ने बताया कि चौधरी की आंख में गंभीर संक्रमण है। इसके मद्देनजर उन्हें मंगलवार शाम की उड़ान से चेन्नई के लिये रवाना किया गया। तमिलनाडु की राजधानी के शंकर नेत्रालय में इलाज के जरिये उनकी आंख की रोशनी लौटाने की कोशिश की जायेगी। इस बीच, बालमुकुंद वैष्णव (58) नाम के मरीज को इंदौर के चोइथराम अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां राज्य सरकार बिगड़े मोतियाबिंद ऑपरेशनों के अन्य पीड़ितों का इलाज करा रही है। 58 वर्षीय मरीज के बेटे आशुतोष वैष्णव ने बताया कि उनके पिता मेडिकल प्रैक्टिशनर हैं और उन्होंने पांच अगस्त को इंदौर नेत्र चिकित्सालय में अपनी एक आंख का मोतियाबिंद ऑपरेशन कराया था। इसके बाद उन्हें इस आंख से दिखायी देना बंद हो गया और संक्रमण बढ़ने से आंख में मवाद भर गया।चोइथराम अस्पताल के मैनेजिंग ट्रस्टी अश्विनी वर्मा ने बताया कि बालमुकुंद वैष्णव की आंख बुरी तरह संक्रमित है। डॉक्टरों की राय के मुताबिक संक्रमण को मस्तिष्क तक पहुंचने से रोकने के लिये उनकी आंख निकालनी पड़ सकती है। वरना उनकी जान को खतरा हो सकता है। अधिकारियों ने बताया कि अब तक प्रदेश सरकार बिगड़े मोतियाबिंद ऑपरेशनों के शिकार चार गंभीर मरीजों को चेन्नई के शंकर नेत्रालय भेज चुकी है। इसके अलावा, नौ मरीजों का इंदौर के चोइथराम अस्पताल में इलाज कराया जा रहा है। बेहद गंभीर संक्रमण के चलते डॉक्टरों को दो अन्य मरीजों की एक-एक आंख निकालनी पड़ी थी। कॉस्मेटिक सर्जरी के जरिये दोनों मरीजों को कृत्रिम नेत्र लगाये जाने का फैसला किया गया है।