भारत-नेपाल सीमा पर बनेंगे 1222 पिलर
देहरादून : भारत और नेपाल की बाउंड्री वर्किंग ग्रुप की चौथी तीन दिवसीय बैठक देहरादून में सर्वे ऑफ इंडिया व सर्वे ऑफ नेपाल के प्रमुख की मौजूदगी में शुरू हो गई है। बैठक में पहले दिन दोनों देशों की सीमा से संबंधित तमाम मसलों पर विस्तृत चर्चा की गई और समाधान के रास्ते तलाशे गए। विशेष रूप से नदी क्षेत्रों में 1222 पिलरों के निर्माण का निर्णय लिया गया।
ये पिलर अक्सर पानी के बहाव में बह जाते हैं, लिहाजा इस पर नए डिजाइन के आधार पर पिलर बनाने पर सहमति बनी है। इसके अलावा नो मैन्स लैंड पर अतिक्रमण का सर्वे कराने और उस पर प्रभावी कार्रवाई पर भी चर्चा की गई।
सोमवार को जीएमएस रोड स्थित एक होटल में बाउंड्री वर्किंग ग्रुप (बीडब्ल्यूजी) के नेपाली दल का स्वागत करते हुए सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वेयर जनरल वीपी श्रीवास्तव ने बैठक की रूपरेखा सामने रखी। इसके साथ ही जून 2016 में काठमांडू में आयोजित की गई ग्रुप की तीसरी बैठक में तय किए गए कार्यों की समीक्षा की गई। उन्होंने बताया कि भारत-नेपाल सीमा पर 1467 पिलरों की मरम्मत की जा चुकी है और 603 नए पिलरों का निर्माण किया गया है।
साथ ही बताया कि सीमा पर नो मैन्स लैंड में अतिक्रमण को लेकर भी प्रभावी कदम उठाए गए हैं। हालांकि अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। सर्वे ऑफ नेपाल के महानिदेशक गणेश प्रसाद भट्टा ने सीमा पर दोनों देश की फील्ड सर्वे टीम (एफएसटी) व सर्वे ऑफिसर कमेटी (एसओसी) के कार्यों को बेहतरीन बताते हुए कहा कि इससे दिन प्रति दिन सीमा क्षेत्रों की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने में मदद मिल रही है।
बीडब्ल्यूजी के भारतीय प्रतिनिधियों ने नदी क्षेत्रों में, खासकर गहरे पानी वाले स्थलों पर पिलर बनाने के लिए खास डिजाइन का प्रस्तुतीकरण भी किया। इस पर गहरी मंत्रणा के बाद नेपाली दल के अधिकारियों ने डिजाइन का संयुक्त परीक्षण कराने की बात कही। हालांकि फौरी तौर पर डिजाइन को मंजूर कर लिया गया। बैठक में कुछ अधिकारियों ने नदी क्षेत्रों में गहरे पाने वाले स्थलों पर नए डिजाइन में पिलर निर्माण को संभव बताया, जबकि कुछ अधिकारी किनारों पर ही पिलर निर्माण को अधिक मुफीद बताया।
इस पर अंतिम निर्णय किया जाना अभी बाकी है। पिलर का निर्माण नेपाल सीमा पर तीन राज्यों के 22 जिलों की 11 नदी क्षेत्रों में किया जाना है। उधर, दोनों देश के अधिकारियों ने 18.2 मीटर चौड़े नो मैन्स लैंड पर पसरे अतिक्रमण को गंभीर बताते हुए गहन सर्वेक्षण की बात कही। तय किया गया कि दोनों देश के अधिकारी संयुक्त सर्वे करेंगे और अतिक्रमण के चिह्नीकरण के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। बैठक में डायरेक्टरेट ऑफ इंटरनेशनल बाउंड्री के निदेशक एसके सिन्हा, विदेश मंत्रालय की बाउंड्री सेल के प्रमुख डॉ. एमसी तिवारी, सर्वे ऑफ नेपाल के उप महानिदेशक सुरेश मान श्रेष्ठा, नेपाल के विदेश
इन नदियों पर बनेंगे पिलर
बिहार- मेछी (महानंदा), घाघरा, शारदा, कनकाई, कमला, बागमती, कोसी, पंचनंद।
उत्तर प्रदेश- राप्ती, भाडा, करनाली, मोहाना, महाकाली।
उत्तराखंड- महाकाली।
पिलर निर्माण पर सहमति नहीं
वैसे तो व्यवस्था यह है कि सीमा पर सम संख्या वाले पिलर के निर्माण भारत करता है और विषम संख्या वाले पिलर के निर्माण की जिम्मेदारी नेपाल की है। हालांकि नदी क्षेत्रों में विशेष तकनीक से बनने वाले पिलर को लेकर नेपाल का आग्रह है कि भारत ही इनका निर्माण करे। सर्वे ऑफ नेपाल के महानिदेशक गणेश प्रसाद भट्टा ने कहा कि भारत के पास तकनीक बेहतर है और बजट की उतनी समस्या भी नहीं। क्योंकि बताया जा रहा है कि एक पिलर पर कम से कम एक करोड़ रुपये की लागत आ सकती है। हालांकि अभी पिलर निर्माण पर अंतिम सहमति नहीं बन पाई।