भेल को नेवलगन बनाने के लिए 11 अरब का आर्डर
हरिद्वार : विश्व स्तर पर व्यवसायिक प्रतिस्पर्द्धा को देखते हुए देश की महारत्न कंपनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) के मुनाफे के लिए परंपरागत कामों के अतिरिक्त लीक से हटकर भी कार्य होंगे। इसके लिए कुछ योजनाओं पर गहरा विमर्श चल रहा है। यह कहना है भेल इक्यूपमेंट प्लांट (हीप) में नव नियुक्त महाप्रबंधक (प्रभारी) संजय गुलाटी का।
‘दैनिक जागरण’ से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि भेल की हरिद्वार इकाई को भारतीय नौसेना के लिए 30 एमएम की 118 नेवल गन बनाने का 11 अरब से अधिक का आर्डर मिला है। यह भेल हरिद्वार के लिए बड़ी उपलब्धि है।
भेल नौसेना के लिए पहले से 76 एमएम की नेवल गन बना रहा है और अब तक ऐसी 36 नेवल गन की नौसेना को आपूर्ति भी कर चुका है। उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश कुछ कर ऐसा कर जाने की है जो देश और भेल के लिए यादगार बन जाए। गुलाटी ने कहा कि आमतौर पर भेल के बारे में यह प्रचलित है कि वह केवल थर्मल पावर सेक्टर में ही काम करती है पर यह सच्चाई नहीं है। भेल अलग-अलग क्षेत्रों के लिए सौ से अधिक उपकरण भी बनाती है।
इसकी जानकारी कम ही लोगों को है कि भेल कैटिप्टव विद्युत संयंत्र, ट्रांसमिशन, परिवहन, अक्षय ऊर्जा, जल (जल शोधन प्रणालियों, प्री-ट्रीटमेंट प्लांट (पीटी) और समुद्र के पानी से रिवर्स ऑस्मोसिस (एसडब्ल्यूआरओ) प्लांट, औद्योगिक उत्पाद (विद्युत एवं यांत्रिक) आदि में इस्तेमाल होने वाली प्रौद्योगिकी संग उपकरण भी बनाती है। साथ ही, देश की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण सुपर रेपिड गन माउंट, नौसेना के जहाजों के लिए इंटिग्रेटिड प्लेटफार्म मैनेजमेंट सिस्टम, थलसेना के टी-72 टैंक के लिए टरेट कास्टिंग आदि उपकरणों का भी निर्माण करती है। उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है और मुकाबला करने में भेल सक्षम है।