हरिद्वार-देहरादून एनएच चौड़ीकरण: लक्ष्य 1.5 करोड़, काम 10 लाख का ही
हरिद्वार-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग पर कार्य की दैनिक प्रगति लक्ष्य से कोसों पीछे चल रही है। यही वजह है कि 2011 से अब तक राजमार्ग का महज 39 किलोमीटर भाग चौड़ा नहीं किया जा सका।
देहरादून, [सुमन सेमवाल]: हरिद्वार-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग का चौड़ीकरण केंद्र सरकार के लिए गले की फांस बन गया है। राजमार्ग पर कार्य की दैनिक प्रगति लक्ष्य से कोसों पीछे चल रही है। यही वजह है कि वर्ष 2011 से अब तक राजमार्ग का महज 39 किलोमीटर भाग चौड़ा नहीं किया जा सका।
चौड़ीकरण का कार्य इरा इंफ्रा कंपनी बिल्ट ऑपरेट एंड ट्रांसफर (बीओटी) मोड पर कर रही है और सरकार चाह कर भी काम वापस नहीं ले पा रही, क्योंकि पैसा डूबने के चक्कर में बैंकों का भी दबाव है कि कंपनी से फिलहाल काम न छीना जाए।
दूसरी तरफ कंपनी ने बीओटी मोड के बावजूद सरकार से 280 करोड़ रुपये की सहायता की मांग की है। सरकार नियमों के चलते इस मांग को पूरा करने का साहस नहीं जुटा पा रही और इन तमाम झंझटों के बीच परेशानी जनता को झेलनी पड़ रही है।
कार्यदायी संस्था राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के परियोजना निदेशक पीएस गुसाईं के मुताबिक ठेका कंपनी को एक दिन में 1.5 करोड़ रुपये के काम का लक्ष्य दिया गया है, जबकि कंपनी 10 लाख रुपये का काम भी मुश्किल से कर पा रही है। यह स्थिति तब है जब चौड़ीकरण कार्य की समय सीमा दो बार बढ़ाई जा चुकी है।
इसी लेटलतीफी के चलते पिछले साल केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कंपनी से काम वापस लेने की तैयारी कर ली थी, मगर बैंकों के हस्तक्षेप के चलते इस कवायद को स्थगित कर दिया गया। दरअसल, परियोजना की कुल 1020 करोड़ की राशि में से कंपनी ने बैंकों से 736 करोड़ रुपये का ऋण लिया है।
यह धनराशि भी ब्याज के साथ बढ़कर 800 करोड़ को पार कर गई है। वहीं, काम की लागत की बात करें तो बाजार भाव बढ़ने से लागत में भी 400 करोड़ रुपये का इजाफा हो गया है। ऐसे में सरकार के 280 करोड़ रुपये के सहयोग के बाद भी काम पूरा हो पाने पर संशय है। इसी के चलते केंद्र सरकार ने अभी तक वित्तीय सहयोग की हामी नहीं भरी।
परियोजना पर एक नजर
- कार्य का नाम, हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग चौड़ीकरण (डबल लेन से फोर लेन)
- लंबाई, 39 किलोमीटर (चौड़ीकरण के बाद यह लंबाई 36.5 किलोमीटर रह जाएगी)
- आरंभिक बजट, 1020 करोड़ रुपये
- कार्य शुरू, नवंबर 2011
- कार्य समाप्ति का पहला लक्ष्य, 30 अक्टूबर 2013
- कार्य समाप्ति का दूसरा लक्ष्य, सितंबर 2016
- अब कंपनी का कार्य समाप्ति का दावा, दिसंबर 2017
- वर्तमान तक भौतिक प्रगति, 54 फीसद
परियोजना में होने वाले बड़े काम
- रेलवे ओवर ब्रिज (मोतीचूर)
- रेलवे अंडर ब्रिज (रायवाला)
- तीन एलीफेंट अंडर पास (लाल तप्पड़, तीन पानी, मोतीचूर)
- वेक्युलर अंडर पास (भानियावाला)
मुजफ्फरनगर-हरिद्वार राजमार्ग की हालत भी जुदा नहीं
इस राजमार्ग के चौड़ीकरण का कार्य भी इरा इंफ्रा कंपनी के पास है और लेटलतीफी के मामले में इसकी स्थिति भी कमोबेश हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग जैसी ही है। उत्तर प्रदेश की सीमा में अधिकांश कार्य किए जा चुके हैं, लेकिन हरिद्वार क्षेत्र में हालात बदतर हैं। परियोजना में प्रस्तावित तीन बाईपास में से उत्तर प्रदेश क्षेत्र में पुरकाजी और बहादराबाद बाईपास का निर्माण किया जा चुका है। जबकि रुड़की बाईपास का निर्माण अधूरा है, हरिद्वार में 10 पुलों का निर्माण भी किया जाना शेष है।
परियोजना पर एक नजर
- शुरुआती बजट, 1100 करोड़ रुपये
- वर्तमान में लागत, 1563 करोड़ रुपये
- लंबाई, 80 किलोमीटर
- काम पूरा, 50 किलोमीटर
- शेष कार्य, 30 किलोमीटर
- कार्य पूरा होना था, नवंबर 2016 में
- अब प्रस्तावित समय, दिसंबर 2017