सुल्तानपुर: मतदान आदर्श आचार संहिता भूले भाजपा नेता, वोट डालते हुए की फोटो वायरल
सुल्तानपुर। मतदान कर रहे एक बीजेपी नेता ने अपना फोटो व्हॉट्सएप पर वायरल किया है। नेता द्वारा वायरल किए गए इस फोटो के पीछे उनका गुस्सा भी झलक रहा है। जिस तरह टिकट न मिलने पर कई नेताओं ने अपना गुस्सा चिल्लाकर, हंगामाकर और एक दूसरे को गाली देकर किया तो इन्होंने भी अपनी पार्टी निष्ठा और प्रेम का सुबूत अपने मत को सार्वजनिक करके दिया है और गुस्सा कुछ यूं जाहिर हुआ कि पार्टी के जिन नेताओं ने इनके टिकट के विरोध में पार्टी की खिलाफत का आरोप लगाया था उनको ये बताना चाहते हैं कि ये पार्टी को वोट देते हैं और देते रहेंगे, चाहे इन्हें टिकट दिया जाए या ना दिया जाए।
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दरअसल इसौली विधानसभा के निवासी संजय त्रिलोकचंदी भाजपा नेता हैं। इसौली से दावेदार भी थे लेकिन टिकट न मिलने से निराश हुए, इन्होंने विरोध कर अपना गुस्सा भी जाहिर किया था लेकिन आज अपने मत का प्रयोग करते वक्त ये चुनावी आचार संहिता का नियम तोड़ते दिखे।
खैर, भावनात्मक दृश्टिकोण से किया गया एक काम गैर-कानूनी भी है। मत का औचित्य हमेशा से ही गोपनीय रहा है और ऐसे में सियासत को भूल अगर नेता ही इसको सार्वजनिक करेंगे तो आम आदमी वोट की गोपनीयता की सभी सीमाएं तोड़ने में बहुत आगे निकल जाएगा। जिस तरह से देश की निगरिकता को मैलिक अधिकार मिले हैं तो कुछ मैलिक कर्तव्यों का भी पालन करना है। वैसे ही चुनावी आचार संहिता में ये भी एक मौलिक कर्तव्य है कि नेता को कम से कम ऐसा न करें।
सत्ताधारी दल के लिए आदर्श आचार संहिता का कानूनी मार्गदर्शन
सत्ताधारी दल को, चाहे वे केन्द्र में हो या संबंधित राज्य या राज्यों में हो, यह सुनिश्चित करना चाहिये कि यह शिकायत करने का कोई मौका न दिया जाये कि उस दल ने अपने निर्वाचन अभियान के प्रयोजनों के लिये अपने सरकारी पद का प्रयोग किया है।
(प) (क) मंत्रियों को अपने शासकीय दौरों को, निर्वाचन से संबंधित प्रचार के साथ नहीं जोड़ना चाहिये और निर्वाचन के दौरान प्रचार करते हुए शासकीय मशीनरी अथवा कार्मिकों का प्रयोग नहीं करना चाहियेष।
(ख) सरकारी विमानों, गाडि़यों सहित सरकारी वाहनों, मशीनरी और कार्मिकों का सत्ताधारी दल के हित को बढ़ावा देने के लिये प्रयोग नहीं किया जायेगाय
(पप) सत्ताधारी दल को चाहिये कि वह सार्वजनिक स्थान जैसे मैदान इत्यादि पर निर्वाचन सभाएं आयोजित करने और निर्वाचन के संबंध में हवाई उड़ानों के लिये हैलीपेडों का इस्तेमाल करने के लिये अपना एकाधिकार न जमाएं। ऐसे स्थानों का प्रयोग दूसरे दलों और अभ्यर्थियों को भी उन्हीं शर्तों पर करने
दिया जाये, जिन शर्तों पर सत्ताधारी दल उनका प्रयोग करता है।
(पपप) सत्ताधारी दल या उसके अभ्यर्थियों का विश्रामगृहों, डाक बंगलों या अन्य सरकारी आवासों पर एकाधिकार नहीं होगा और ऐसे आवासों का प्रयोग निश्पक्श तरीके से करने के लिये अन्य दलों और अभ्यर्थियों को भी अनुमति होगी लेकिन दल या अभ्यर्थी ऐसे आवासों का (इनके साथ संलग्न परिसरों
सहित) प्रचार कार्यालय के रूप में या निर्वाचन प्रचार के लिये कोई सार्वजनिक सभा करने की दृश्टि से प्रयोग नहीं करेगा या प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी जायेगी।
(पअ) निर्वाचन अवधि के दौरान सत्ताधारी दल के हितों को अग्रसर करने की दृश्टि से उनकी उपलब्धियां दिखाने के उद्देश्य से राजनैतिक समाचारों तथा प्रचार की पक्शपातपूर्ण ख्याति के लिये सरकारी खर्चें से समाचार पत्रों में या अन्य माध्यमों से ऐसे विज्ञापनों का जारी किया जाना, सरकारी जन माध्यमों का दुरुपयोग ईमानदारी से बिल्कुल बन्द होना चाहिये ।
(अ) मंत्रियों और अन्य प्राधिकारियों को उस समय जब से निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन घोषित किये जाते हैं, विवेकाधीन निधि में से अनुदानों/अदायगियों की स्वीकृति नहीं देनी चाहिये।
चुनाव आदर्श आचार संहिता का ये पाठ भाजपा नेता ही नहीं भूले होंगे बल्कि बहुत से मतदान स्थलों पर ऐसा हो रहा होगा। अगर आप भी इस तरीके को अपने मत का प्रचार माध्यम बनाने की सोच रहे हैं तो थोड़ा ठहरे और मतदान कर्तव्यों का उचित पालन करें क्योंकि भावनात्मक पक्षपात के चलते ये बड़ा खतरा हो सकता है!
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Source: hindi.oneindia.com