शराब की दुकानों की लॉटरी में नियम नीलाम

देहरादून, [जेएनएन]: एक्सटेंशन अवधि (30 अप्रैल तक) के लिए देहरादून में कराई गई शराब की दुकानों की लॉटरी में बड़ी अनियमितता सामने आई है। जिला आबकारी अधिकारी कार्यालय ने बिना आवेदन शुल्क जमा कराए ही करीब 719 आवेदनों की लॉटरी करा दी।

इससे सरकार को राजस्व के रूप में पहले झटके में ही 1.58 करोड़ रुपये की चपत भी लग गई। लॉटरी प्रक्रिया की किसी को भनक न लगे, इसके लिए चुनिंदा शराब कारोबारियों के साथ लॉटरी कराई गई। जिलाधिकारी रविनाथ रमन ने कहा कि दुकानों की लॉटरी निरस्त कराकर दोबारा से नियमानुसार लॉटरी कराई जाएगी।

पुरानी आबकारी नीति में स्पष्ट प्रावधान है कि लॉटरी प्रक्रिया में अंग्रेजी शराब की दुकान के लिए 22 हजार रुपये प्रति आवेदन व देशी शराब की दुकान के लिए प्रति आवेदन 18 हजार रुपये लिए जाएंगे। एक्सटेंशन अवधि में दुकानों के आवंटन के लिए दून की सात अंग्रेजी शराब की दुकानों के लिए ही करीब 719 आवेदन आए थे। नियमानुसार इन सभी आवेदन पर 22 हजार रुपये प्रति आवेदन शुल्क लिया जाना चाहिए था। ऐसा न कर जिला आबकारी अधिकारी ने सिर्फ नीति का उल्लंघन किया, बल्कि पूरी प्रक्रिया को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया। अब सवाल यह भी उठ रहे हैं कि सैकड़ों आवेदन महज एक दिखावा थे और चंद लोगों के माध्यम से ही ये आवेदन दाखिल कराए गए थे।

निरस्त होगी दुकानों की लॉटरी

बिना आवेदन शुल्क लिए कराई गई दुकानों की लॉटरी की शिकायत जिलाधिकारी रविनाथ रमन तक भी पहुंच गई है। जिलाधिकारी ने माना कि ऐसा किया जाना आबकारी नीति का उल्लंघन है। कहा कि ऐसे में पूरी संभावना है कि सैकड़ों आवेदनों के पीछे चंद लोग ही शामिल हों। उन्होंने कहा कि दुकानों की लॉटरी निरस्त कराकर दोबारा से नियमानुसार लॉटरी कराई जाएगी।

प्रमुख दुकानों पर आवेदन की स्थिति

पलटन बाजार———-182

आराघर——————168

डालनवाला—————-146

गांधी रोड—————–145

लालतप्पड़——————66

रायपुर अंग्रेजी————-09

सभी दुकानों पर उठे चंद हाथ

लॉटरी में सैकड़ों नाम की पर्ची के बाद जब किसी नाम की पर्ची निकल रही थी तो उनके स्वामित्व को लेकर हर बार वही चंद हाथ ही उठ रहे थे। इससे साफ जाहिर हो रहा था कि बिना शुल्क वाले आवेदन चंद व्यक्तियों के माध्यम से ही कराए गए थे। कुछ लोगों के पास तो दर्जनों लोगों की आइडी (पहचान पत्र) भी थी और जिस भी नाम की पर्ची निकल रही थी, वह उसकी आइडी जमा कर दे रहे थे। यह सब कुछ आबकारी अधिकारियों की आंखों के सामने हो रहा था और वे जानकार भी निगाह फेर दे रहे थे। इस पर जिला आबकारी अधिकारी मनोज उपाध्याय का कहना है कि समय की कमी को देखते हुए आवेदन शुल्क नहीं लिया गया और दुकानों का आवंटन उच्च राजस्व पर किया गया है।

दून का राजस्व ग्राफ गिरा

जगह-जगह हो रहे विरोध और एक्सटेंशन अवधि में उच्च अतिरिक्त राजस्व निर्धारण से पुराने ठेकेदार दुकानें सरेंडर कर रहे थे, लिहाजा राजस्व हानि व समय अभाव को देखते हुए पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर दैनिक आधार पर दुकानों का आवंटन किया जा रहा था। नीति में भी यही व्यवस्था की गई है। इससे अधिकतर दुकानें बंद होने पर भी सभी 72 दुकानों का राजस्व प्राप्त होने लगा।

दून में इससे रोजाना करीब 72 लाख का राजस्व मिल रहा था। छह अप्रैल तक यह व्यवस्था जारी रही, लेकिन आबकारी विभाग ने इस पर सवाल खड़े करते हुए आराघर की दुकान आवंटन में पूर्व जिला आबकारी अधिकारी पवन कुमार को निलंबित कर लॉटरी कराने का निर्णय लिया। इससे छह अप्रैल के बाद से न सिर्फ राजस्व का ग्राफ नीचे गिरने लगा, बल्कि अब लॉटरी में आवेदन शुल्क के मोर्चे पर ही यह कवायद धड़ाम हो गई।

 

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