वैज्ञानिकों ने किया खुलासा, सात हजार साल पहले अस्तित्व में था राम सेतु
देहरादून : राम सेतु के अस्तित्व को लेकर विश्वभर में छिड़ी बहस के बीच राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा किया है। संस्थान के वर्तमान सलाहकार व पूर्व मुख्य वैज्ञानिक राजीव निगम के अध्ययन में दावा किया गया है कि राम सेतु करीब सात हजार साल पहले अस्तित्व में था।
इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए वैज्ञानिकों ने समुद्र के बढ़ते जलस्तर और विभिन्न सूक्ष्मजीवियों (माइक्रो आर्गनिज्म) के अवशेषों की कार्बन डेटिंग का सहारा लिया। इससे प्राप्त अवधि को वैज्ञानिकों ने रामायणकाल से भी जोड़ा तो दोनों की अवधि समान पाई गई। यह अध्ययन वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में आयोजित की गई नेशनल जियो-रिसर्च स्कॉलर्स मीट में साझा किया गया।
राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के सलाहकार राजीव निगम के मुताबिक राम सेतु की हकीकत का पता लगाने के लिए सबसे पहले रामायणकाल की सटीक अवधि जाननी जरूरी थी। इसके लिए उन्होंने अन्य शोधार्थी सरोज बाला के वाल्मीकि रामायण के आधार पर किए गए अध्ययन का सहारा लिया। अध्ययन में वाल्मीकि रामायण में दर्ज तारों की स्थिति का पता लगाकार प्लेनिटोरियम सॉफ्टवेयर से उस काल की अवधि निर्धारित की। यह अवधि करीब 7000 साल पुरानी पाई गई।
इसके बाद तब से अब तक समुद्र के जल स्तर में आए परिवर्तन की गणना की गई। पता चला कि तब से लेकर अब तक समुद्र का जल स्तर तीन मीटर तक बढ़ गया है। वर्तमान में राम सेतु के पत्थर पानी से इतने नीचे तक पाए गए। यानी तब राम सेतु के पत्थर सतह पर रहे होंगे और वह पुल की शक्ल में नजर आते होंगे।
प्रारंभिक अध्ययन में राम सेतु का पता चलने के बाद कार्बन डेटिंग का निर्णय भी लिया गया। राम सेतु के पत्थरों में मौजूद सूक्ष्मजीवी फोरामिनिफेरा, कोरल, ऊलाइट्स आदि के अवशेषों की कार्बन डेटिंग कराई गई। इनकी अवधि भी सात हजार साल पुरानी पाए जाने के बाद पूरी तरह स्पष्ट हो गया कि वाल्मीकि रामायण में दर्ज काल और राम सेतु के पत्थर एक ही अवधि को दर्शाते हैं।
राम सेतु का इतिहास और मान्यता
वैज्ञानिक राजीव निगम के मुताबिक राम सेतु भारत के दक्षिण पूर्वी तट के किनारे रामेश्वरम द्वीप व श्रीलंका के उत्तर पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के मध्य में चूना पत्थरों से बना है। इतिहास के प्रमाणों के अनुसार बताया जाता है कि इसकी लंबाई 30 किलोमीटर व चौड़ाई तीन किलोमीटर थी। मान्यता है कि श्रीराम व उनकी सेना ने इसी इसी पुल से लंका पहुंचकर रावण पर विजय हसिल की थी।