राज्यपाल ने पशु प्रजनन प्रक्षेत्र कालसी का भ्रमण किया
देहरादून, । राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने मंगलवार को उत्तराखण्ड लाइव स्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड पशुपालन विभाग उत्तराखण्ड के द्वारा संचालित पशु प्रजनन प्रक्षेत्र कालसी का भ्रमण किया। यह केन्द्र भारत सरकार के द्वारा देशी गोवंश जैसे रेड सिन्धी, साहिवाल, गिर एवं थारपारकर के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन इंडीजीनस ब्रीड के रूप में चिन्हित किया गया है। भ्रमण के दौरान राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड लाइव स्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड तकनीकी के क्षेत्र में उच्च स्तर का है जो ओवम पिकअप, आईवीएफ, जेनेटिक इंजीनियरिंग एवं जिनॉम इंजीनियरिंग के अंतर्गत बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। राज्यपाल ने कहा कि इस प्रक्षेत्र में जिस प्रकार की तकनीकी विकसित की गई है उससे हम पूरे राष्ट्र के अंतर्गत क्रांति ला सकते है। उन्होंने कहा कि प्रक्षेत्र में विकसित की जा रही तकनीक से हमारे किसानों को लाभ मिले इसके विशेष प्रयास किए जाएं।
भ्रमण के दौरान राज्यपाल ने प्रक्षेत्र में पाले जा रहे गोवंश का निरीक्षण किया तथा पशुओं के प्रबन्धन पर संतोष व्यक्त किया गया। उन्होंने प्रक्षेत्र पर गायों के दुहान हेतु अत्याधुनिक मिल्ंिकग मशीन के बारे में जानकारी प्राप्त की गई। राज्यपाल ने प्रक्षेत्र पर अनुवांशिकी सुधार हेतु राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अन्तर्गत स्थापित आईवीएफ लैब का निरीक्षण किया जिसमें उन्होंने आईवीएफ-भू्रण प्रत्यारोपण तकनीक से उच्च दुग्ध क्षमता वाले वत्स उत्पन्न कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने आईवीएफ तकनीक में लैब के द्वारा राष्ट्रीय स्तर के भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से चलाये जा रहे कार्यक्रमों की सराहना की। इस दौरान प्रयोगशाला प्रभारी डॉ0 अजयपाल सिंह असवाल द्वारा अवगत कराया गया कि लैब पर वर्तमान तक देशी गौवंश के 3286 एम्ब्रो प्राप्त किये गये जिसमें से 2648 प्रत्यारोपण हेतु उपयुक्त पाये गये, उनमें से 1618 भ्रूणों को प्रत्यारोपित कर 802 पशु गर्भित किये गये तथा 1038 भू्रणों को संरक्षित किया गया। केन्द्र के द्वारा भ्रूणों को विक्रय भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि कालसी प्रक्षेत्र भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीकी क्षेत्र में देश में अग्रणी है। वर्तमान तक प्रक्षेत्र पर भूण प्रत्यारोपण तकनीक से 649 वत्स उत्पन्न किये जा चुके है। भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से उत्पन्न नर वत्सों को देश के विभिन्न प्रदेशों को प्रजनन हेतु विक्रय किया जाता है। साथ ही संस्थान आईवीएफ तकनीक में मानव संसाधन को विकसित करने के लिए देश भर के विश्वविद्यालयों के प्रवक्ताओं, अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिकों तथा पशुचिकित्साविदों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण प्रदान करने की जानकारी दी गई।