भ्रष्टाचार पर मोदी सरकार का बड़ा प्रहार, 22 अफसर जबरन रिटायर

नई दिल्ली। क्या करप्शन खत्म नहीं हो सकता। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं, हो सकता है। बस थोड़ा सा बदलाव लाना होगा। अपने पहले कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार को लेकर अपने रुख को कुछ इस तरह जाहिर कर संकेत दे दिया था कि केंद्र में काबिज मोदी सरकार इसे लेकर जीरो टालरेंस की नीति पर हैं। दूसरे कार्यकाल के शुरूआती दौर में ही इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के 2बाईस2 वरिष्ठ अधिकारियों की छुट्टी कर दी है।भ्रष्टाचार और अन्य आरोपों के कारण जनहित में मौलिक नियम 56 (जे) के तहत अधीक्षक/ AO रैंक के 22 अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया है। मोदी सरकार 2 के गठन के बाद से ही सरकारी विभागों में सफाई का सिलसिला लगातार जारी है। इससे पहले जून महीने में नियम 56 इससे पहले भी टैक्स विभाग के ही 12 वरिष्ठ अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया गया था।

क्या है रूल 56
वित्त मंत्रालय रूल 56 का इस्तेमाल ऐसे अधिकारियों पर किया जा सकता है, जो 50 से 55 साल की उम्र के हों और 30 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। सरकार के जरिए ऐसे अधिकारियों को अनिर्वाय रिटायरमेंट दिया जा सकता है। ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद नॉन-फॉर्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर करना होता है। सरकार के जरिए अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दिए जाने का नियम काफी पहले से ही प्रभावी है।

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