‘बूढ़े’ कंधों पर राजाजी की सुरक्षा, रिजर्व के निदेशक ने जाहिर की पीड़ा

देहरादून : उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे राजाजी टाइगर रिजर्व की सुरक्षा में तैनात 80 फीसद तक फील्ड स्टाफ दौड़भाग में सक्षम नहीं है। पहले ही जमीनी रखवालों की कमी से जूझ रहे रिजर्व में जो कार्मिक तैनात हैं, उनकी उम्र 50 से 55 साल के बीच है। रिजर्व के निदेशक सनातन सोनकर की मानें तो उम्रदराज हो चुके इन कार्मिकों को फील्ड में दौड़ाने में कठिनाइयां पेश आ रही हैं। उन्होंने प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को पत्र भेजकर अपनी यह पीड़ा जाहिर की है। साथ ही रिक्त पदों को जल्द भरने का अनुरोध किया है, ताकि नए कार्मिकों को फील्ड में तैनात किया जा सके।

चारों तरफ आबादी से घिरा 1075 वर्ग किमी में फैला राजाजी टाइगर रिजर्व सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है। फिर इसकी सीमा उप्र से भी सटी हैं। बावजूद इसके रिजर्व की सुरक्षा एक प्रकार से रामभरोसे है। वजह है फील्ड स्टाफ की कमी और वर्तमान में मौजूद उम्रदराज हो चुके कार्मिक। फील्ड स्टाफ के नजरिए से देखें तो इसकी पहली कड़ी है वन रक्षक। 102 बीटों वाले इस रिजर्व में वन रक्षकों के स्वीकृत पद तो 149 हैं, मगर 62 अर्से से खाली चल रहे हैं।

जो तैनात हैं, उनमें 80 फीसद की आयु 50 से 55 के बीच हैं। यही नहीं, एक वन रक्षक के जिम्मे कहीं दो तो कहीं तीन बीट हैं। उम्र अधिक होने के कारण सुरक्षा के मद्देनजर वह दौड़भाग नहीं हो पा रही, जिसकी दरकार है।

रिजर्व निदेशक सनातन सोनकर के मुताबिक न सिर्फ वन रक्षक बल्कि उससे ऊपर का फील्ड स्टाफ भी उम्रदराज है। रिजर्व में 49 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 52 वन दारोगा कार्यरत हैं, मगर इनमें भी 50 फीसद 50 वर्ष से अधिक आयु के हैं। डिप्टी रेंजरों की स्थिति और भी नाजुक है। इनके 16 स्वीकृत पदों में से 12 कार्यरत हैं, लेकिन 90 फीसद 50 की उम्र के पार हैं।

आठ रेंजरों और तीन एसीएफ (सहायक वन संरक्षक) की स्थिति इससे जुदा नहीं है। तीनों एसीएफ क्रमश: 55, 58 व 59 वर्ष के हैं। सोनकर के मुताबिक फील्ड कार्मिकों की उम्र को देखते हुए उनसे अधिक भागदौड़ नहीं कराई जा सकती। ऐसे में जरूरी है कि रिक्त चल रहे पदों पर नियुक्तियां कर उन्हें फील्ड में तैनाती दी जाए।

राजाजी रिजर्व का सफर

-1936 में मोतीचूर अभयारण्य

-1948 में राजाजी अभयारण्य

-1977 में चीला अभयारण्य

-1983 में तीनों अभयारण्यों को मिलाकर बना राजाजी नेशनल पार्क

-2012 में जारी हुई पार्क की अधिसूचना

-2015 में लैंसडौन व हरिद्वार के कुछ हिस्सों को मिलाकर बना टाइगर रिजर्व

रिजर्व एक नजर

-820 वर्ग किमी है रिजर्व का कोर जोन

-255 वर्ग किमी का है बफर जोन

-300 से अधिक है हाथियों की संख्या

-24 से ज्यादा हैं यहां बाघ

-50 स्तनपायी प्रजातियां हैं मौजूद

-300 से अधिक प्रजाति के हैं यहां परिंदे

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