बन्द मुठठी का खेल कब तक

देहरादून;इं.वा. संवाददाता। उत्तराखंड राज्य निर्माण सैनानी संघ ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भ्रष्टाचार की जद में आने एवं व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार किये जाने के विरोध में जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन करते हुए प्रशासनिक अधिकारी के जरिये मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित करते हुए इस दिशा में सीबीआई से जांच किये जाने की मांग कर दोषियों को जेल भेजे जाने की मांग की है। उनका कहना है कि बोर्ड ने जल उपकर की प्रतिपूर्ति धनराशि जो कि रूपये 9.83 करोड थी मंे से केवल रूपये सात करोड का ही उपयोगिता प्रमाण पत्र भारत सरकार पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को प्रस्तुत किया है और 2.83 करोड के उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किये है, जो एक बडा घोटाला है।
यहां संघ से जुडे हुए कार्यकर्ता अध्यक्ष मनोज ध्यानी के नेतृत्व में जिलाधिकारी कार्यालय पर पहंुचे और वहां पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पनप रहे भ्रष्टाचार के खिलापफ प्रदर्शन किया। बोर्ड ने राजय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीय परिषद हेतु वर्ष 2009-10 में उपयोग करने हेतु रूपये 1.40 लाख में से विभाग ने केन्द्र सरकार को रूपये 63.79 लाख के उपयोगिता प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत नहीं किये थे। वित्तीय वर्ष 2003-04 से 2006-07 तक के लेखा अभिलेखों में भी ठीक प्रकार की अनेकों खामियां मिली थी जो कि विशुद्ध वित्तीय घोटाले ही रहे है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में भ्रष्टाचार की बानगी चरम पर है और आये दिन कोई न कोई अधिकारी विजिलेंस द्वारा धरे जा रहे है और यहां उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जबरदस्त भ्रष्टाचार की चपेट में है ओर मनमाने ढंग से नियुक्तियां पहले से ही जांच के घेरे में रही है और बोर्ड अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने में नाकामयाब रहा है और यहां पर एक अधिकारी को पर्यावरण अभियंता बना दिया गया है, उनका कहना है कि जो पद विधि मान्य है वह सहायक पर्यावरण अभियंता में पदोन्नति द्वारा सृजित है और पर्यावरण अभियंता हेतु इंजीनियरिंग की डिग्री अनिवार्य अर्हता होनी चाहिए, परन्तु उत्तराखंड में भी उल्टी गंगा बह रही है यहां विभाग ने पर्यावरण अभियंता के पद पर एक काम चलाउफ अफसर को बिठा दिया है जो की मात्र बीएससी डिग्री धारक है वह स्वयं पर्यावरण अधिकारी के पद पर नियुक्त है जिसकी जांच की जानी चाहिए और इसके साथ ही साथ अनापत्ति प्रमाण पत्र धडल्ले से जारी किये जा रहे है।

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