प्रधानमंत्री मोदी की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलेरेंस की नीति को पूरे विश्व ने स्वीकारा

देहरादून, । वर्ष 2014 में जिस समय देश की कमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाली थी। उस समय उन्होंने यह बात जग जाहिर कर दी थी कि, भारत देश अब आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर आगे बढ़ेगा। आतंकवाद से समझौता नहीं, आतंकवादियों का हिसाब होगा। इन 10 वर्षों में आतंकवाद के खिलाफ भाजपा सरकार ने एक मजबूत इकोसिस्टम तैयार कर इस समस्या को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए अनेकों योजनाएं भी तैयार की है। इस कड़ी में आतंकवाद विरोधी सम्मेलन-2024 के उद्घाटन सत्र में पहुंच कर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने एक ओर एनआईए की पूरी टीम को बधाई दी तो, दूसरी ओर उन्होंने 75 सालों में देश की आंतरिक सुरक्षा और सीमाओं की सुरक्षा को बनाए रखने के लिए शहीद हुए 36,468 पुलिसकर्मियों को भी याद किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि, ‘बीते 10 सालों से मोदी जी के नेतृत्व में आतंकवाद के खिलाफ भारत सरकार मोदी जी के नेतृत्व में एक ठोस रणनीति लेकर चल रही है। मोदी जी की इस नीति को आज पूरी दुनिया ने स्वीकार किया है।’ बीते 10 साल में एक ओर जहाँ आतंकवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का सख्त रवैया देखने को मिला है। वहीं टेररिज़्म के साथ ही नारकोटिक्स के खिलाफ आज हमारे देश में एक मजबूत इकोसिस्टम बनकर तैयार हुआ है। जिसका लोहा पूरी दुनिया मान रही है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व के बादौलत आज जहाँ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में शामिल एजेंसियों को कानूनी रूप से मजबूती मिली है। वहीं एनआईए एक्ट में संसोधिन भी किया गया है। जिसमें नए अपराध जोड़े गए हैं साथ ही एक्स्ट्रा टेरिटोरियल क्षेत्राधिकार भी दिया गया है। आज एनआईए आतंकवाद खिलाफ जाँच करने के लिए विदेश में भी जा सकती है। यूएपीए में भी 14 अगस्त, 2019 को संशोधन किया गया और संपत्ति जब्त करने का अधिकार दिया गया। जिसके तहत यूएपीए को व्यक्ति विशेष और संगठन को आतंकवादी घोषित करने का उन्हें अधिकार दिया गया।

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