अपने देश में भी दिल के रोगियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई
दिले नादान की बात कोई नहीं समझ सकता है। दिल कब धोखा दे जाये और मौत गले से लग जाये कहा नहीं जा सकता है। आज की भागमभाग भरी जिन्दगी में दिल कब अचानक बैठ जाये कहा नहीं जा सकता है। दिले नादान कब किसके प्यार में शीशे की तरह टूटे और आपको बीमार बना दे इस पर संभल कर रहें। क्योंकि एक सर्वेक्षण के अनुसार हाल के कुछ वर्षों में दिल के रोगियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। बात सिर्फ विदेशों की नहीं है, अपने देश में भी दिल के रोगियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। पहले दिल की बीमारी के लिए कोलेस्ट्रोल को जिम्मेदार माना जाता था, लेकिन हाल में नयी खोजों से यह सामने आया कि श्होमोसिस्टीन अमीनो अम्ल्य कोलेस्ट्राल की अपेक्षा ४० गुना अधिक खतरनाक है।
दिल की बीमारियां मौत बनकर सामने आ रही हैं। पहले जवानी में दिल की बीमारियां सामने आती थीं लेकिन अब बचपन में ही दिल की बीमारी लग जाती है। दिल की बीमारी के लिए प्रमुख रूप से कोलेस्ट्राल की मात्रा को दिल के अनुरूप रखने के लिए किस प्रकार का भोजन किया जावे बहुत स्पष्ट नहीं हो सका है। वैसे इस बारे में हाल ही में ब्रिटिश न्यूट्रीशन फाउंडेशन के डा० हनाथ थियोवोल्ड ने अपने शोध में कहा कि ब्लड कोलेस्ट्राल पर आपका आहार कोई असर नहीं डालता है। यह उच्च संतृप्त वसा है जो दिल के रोग के लिए जिम्मेदार है। यही कोलेस्ट्राल का स्तर बढ़ता है।
कोलेस्ट्राल बढऩे का एक कारण होनोसिस्टीन भी है। एक प्रकार का यह अमीनो अम्ल है जो शरीर में विशिष्ट परिस्थितियों में पैदा होता है। बहुत से हृदय विशेषज्ञों का मानना है कि होमोसिस्टीन रक्त वाहिनियों की दीवारों को सरल करता है। यह रक्त बहाव को प्रभावित करती है। इसके लिए दिल को अतिरिक्त कार्य करना पड़ता है जिससे वह कमजोर हो जाता है। ध्रूमपान जरूरत से ज्यादा शराब का सेवन, असंतुलित भोजन से मोटापा बढ़ता है। चालीस की उम्र के बाद इन सब चीजों के प्रति सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि इसका सीधा असर दिल पर
पड़ता है कई मामलों में तो यह भी दिखता है कि इन वस्तुओं का न सेवन करने के बाद भी दिल बीमार पड़ जाता है।
होमोसिस्टीन जैसे खतरनाक अमीनो अम्ल से बचने के लिए जरूरी है कि इसका निर्माण करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन बंद कर दिया जाये। मीट, पनीर और अन्य इसी तरह के कुछ खाद्य पदार्थ दिल के दुश्मन हैं। डॉक्टरों का मानना है कि फालिक अम्ल की मात्रा विटामिन बी-६ और बी-१२ के साथ अधिक मात्रा में लेकर होमोसिस्टीन के स्तर को घटाया जा सकता है। शोध के अनुसार दो सौ एमसीजी फालिक अम्ल विटामिन बी के साथ लेकर मात्र तीन महीने के अंदर होमोसिस्टीन की मात्रा में २५ प्रतिशत तक रोक लगायी जा सकती है। जहां तक इन दोनों यौगिकों के पाये जाने की बात है तो वीन्स, सेम, गुवार की फली, पालक, विदेशी पत्ता गोभी में फोलेट व बी-१६ की अधिक मात्रा पायी जाती है। मैग्नीशियम की कमी भी दिल के लिए खतरनाक है। सोडियम और पोटेशियम की ज्यादा मात्रा ब्लडप्रेशर को बढ़ा सकता है। आपका दिल बल्लियों उछलकर मौत के करीब ले जा सकता।
एक अन्य शोध में कहा गया है कि दिल की बीमारी से बचने के लिए किसी भी विटामिन का अधिक इस्तेमाल भी नुकसान पहुंचा सकता है। अधिक मात्रा में विटामिन रक्त वाहिनियों में ४४ प्रतिशत तक जमाव पैदा कर सकती है। इसके विपरीत अमेरिकी वैज्ञानिकों का कहना है कि विटामिन सी का सेवन रक्त वाहिनियों में रक्त के सुचारू बहाव के लिए अत्यंत फायदेमंद है। दुग्ध पदार्थों, मछली और चिकन में पायी जाने वाली आजीनाईन नामक अमीनो अम्ल खराब कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करता है।आपका दिल बेवफा यार की तरह धोखा न दे दे इसलिए जरूरी है कि आज ऐसे खानपान अपनाये जो आपके दिल से प्यार करे। मक्का कुल का स्वीट कार्न उबालकर खाने से एण्टी आक्सीडेंट का स्तर बढ़ता है जो दिल के रोगों से बचाता है। फलों, खासतौर में विदेशी फल का इस्तेमाल करें। अखरोट में एल्पा लिनोलेनिक अम्ल काफी मात्रा में पाया जाता है। यह रक्त वाहिनियों, धमनियों को लचीला कर देता है। इससे इनका फैलाव बढ़ जाता है जिससे रक्त का बहाव सुचारू रूप से होने लगता है। चाय भी दिल के लिए फायेदमंद है। फलों के रस खासतौर से नींबू कुल के फलों के रस में विटामिन सी कार्बाहाइड्रेट कार्बनिक एसिड, विटामिन बी काम्पलेक्स आधिक मात्रा में पाया जाता है। यह दिल से काफी प्यार करते हैं।दुनिया को दिल की बीमारी से निजात दिलाने के लिए तमाम प्रयास किये जा रहे हैं। हाल में ब्रिटेन में इसी संबंध में एक बैठक हुई। इसमें दिल के रोगियों पर काबू पाने की बात कही गयी। लेकिन यह इतना आसान नहीं है। अगर सही खान-पान एवं रहन-सहन नहीं अपनाया गया तो दिल को बीमार बनने से रोकना संभव नहीं है। (हिफी)