जेईई एडवांस: हताशा के भंवर से निकल लिखी सफलता की इबारत

देहरादून : इसे कहते हैं छा जाना। चार साल पहले सिर से मां का साया उठ गया। जिसने आयुष को भीतर तक झकझोर कर रख दिया था, लेकिन हताशा के इस भंवर से निकलकर आयुष ने कॅरियर की बुलंदियां छू ली। उनका वह सपना पूरा हुआ जो बहुत छोटी उम्र से ही आंखों में पल रहा था। उन्होंने जेईई एडवांस में आल इंडिया 249 रैंक हासिल किया है। अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार वह प्रदेश में पहले स्थान पर हैं।

 

जेईई एडवांस के रिजल्ट में दून के आयुष कौशल 292 अंकों के साथ शीर्ष पर कायम हैं। वह रूलक के संस्थापक अवधेश कौशल के पोते हैं। पिता प्रवीण कौशल एक एनजीओ चलाते हैं। जबकि बड़े भाई प्रत्यूष का अपना बिजनेस है। आयुष की इस सफलता में खास मायने हैं। वह इसलिए कि वर्ष 2013 में उनकी मां जया की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई। जिसने आयुष को भीतर तक तोड़ दिया, लेकिन अलग मुकाम वहीं बनाते हैं जो मुश्किलों से निकलना जानते हैं।

आयुष ने भी जिंदगी की इस कठिन घड़ी से बाहर निकल बुलंदियों की ओर कदम बढ़ाए। दिल्ली पब्लिक स्कूल के छात्र आयुष ने इसी साल 94 प्रतिशत के साथ बारहवीं उत्तीर्ण की है। उनका बिट्स और केवीपीवाई में भी शानदार रहा है। अब इस रिजल्ट ने उन्हें एक अलग ऊर्जा प्रदान दी है।

क्योंकि आइआइटी से इंजीनियरिंग करने के अपने सपने की तरफ कदम बढ़ाते वह न सिर्फ पहले ही प्रयास में सफल हुए हैं बल्कि खुद को श्रेष्ठ में सर्वश्रेष्ठ भी साबित कर दिखाया। वह कम्प्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करना चाहते हैं।

टॉप टेन की सूची में आइआइटी रुड़की से 3 छात्रों ने बनाई जगह 

जेईई एडवांस का परीक्षा में रुड़की जोन में 5076 छात्र सफल हुए हैं। आआइटी रुड़की जोन के चंडीगढ़ के छात्र सर्वेश मेहतानी ने ऑल इंडिया पहली रैंक हासिल की है। टॉप टेन की सूची में इस बार आइआइटी रुड़की से 3 छात्रों ने जगह बनाई है, जबकि टॉप 100 की सूची में 10 छात्र आईआईटी रुड़की जोन से शामिल है। यह जानकारी आइआइटी रुड़की के जेई एडवांस के चेयरमैन प्रोफेसर एम एल शर्मा ने दी है।

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