क्या US व रूस की तनातनी में बिगड़ा भारत का खेल? अफगान में क्यों सीमित हुआ रोल

नई दिल्ली । अफगानिस्तान में ‘वेंट एंड वॉच’ की स्थिति भारत के लिए अब परेशानी का सबब बनता जा रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान के साथ जारी खूनी संघर्ष के बीच शांति कायम करने की कोशिश में भारत, चीन और रूस समेत कई देश एक्टिव हैं, मगर अभी जो कूटनीतिक तौर पर हालात दिख रहे हैं, वे इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि अफगानिस्तान में भारत की पकड़ ढीली पड़ती जा रही है। एक ओर जहां अमेरिका अपनी सेना हटाकर अफगानिस्तान में दखल कम कर रहा है, वहीं अफगानिस्तान में हुई इस खालीपन को भरने के लिए रूस फिर से एक्टिव नजर आ रहा है। यही वजह है कि रूस ने अफगानिस्तान में तेजी से बदलते हालात पर एक अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक की हैरान करने वाली बात यह है कि इसमें रूस ने भारत को आमंत्रित नहीं किया है। जबकि इस बैठक के लिए रूस ने पाकिस्तान और चीन जैसे देशों को भी न्योता भेजा है, जिनके शामिल होने की संभावना है। अफगानिस्तान में तालिबान के हमले बढ़ने पर रूस ने हिंसा रोकने और अफगान शांति प्रक्रिया पर जोर देने के लिए युद्धग्रस्त देश में सभी प्रमुख पक्षकारों तक पहुंचने के प्रयास तेज कर दिए हैं। यह ‘विस्तारिक ट्रोइका बैठक’ 11 अगस्त को कतर में होनी है। इसके तहत पहले 18 मार्च और 30 अप्रैल को वार्ता हुई थी। रूस, अफगानिस्तान में शांति लाने और राष्ट्रीय सुलह की प्रक्रिया की शर्तें तय करने पर वार्ता के लिए ‘मॉस्को फॉर्मेट’ भी करा रहा है।

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