कौन है इन मौतों का जिम्मेदार
सीकर । बेटी का कन्या दान करने का सपना संजोने वाला एक मेहनतकश मजदूर सिर्फ इसलिए ट्रेन के आगे कूद गया क्योंकि शादी के किये उसने जो पैसा बैंक में जमा कर रखा था, वह नोटबंदी के बाद ग्रामीण बैंक से भुगतान नहीं हो पा रहा था। मानसिक रूप से अवसाद में आए इस मजदूर को भले ही रेल चालक की सजगता से जीवन दान मिल गया हो लेकिन बेटी के ब्याह के लिए लगी नोटबंदी की त्रासदी उसे अभी भी घेरे हुए है। होश में आने पर अस्पताल में दिए बयान में उसने कहा कि वह जिंदा क्यों रह गया, वह तो मरने के लिए ही निकला था।इस दर्दनाक घटना के दूसरे दिन तक जिला प्रशासन व बैंक प्रशासन अपना असंवेदनशील रवैया अपनाए हुए है तथा पुलिस प्रशासन की ओर से आत्महत्या का प्रयास करने के आरोप का मामला दर्ज किया गया है। शुक्रवार को निकटवर्ती रैवासा ग्राम निवासी रमेश शर्मा सुबह साढ़े पांच बजे ही किसी को बताए बिना घर से निकल कर बस से सीकर आ गया। उसकी जेब में दस रूपए थे जो बस के किराए में लग गए। सीकर में अपने एक परिचित से उसने दौ सौ रूपए उधार लिए और शराब खरीद कर स्टेशन के निकट रेलवे पुलिया के पास पीने लगा। जैसे ही सीकर दिल्ली जाने वाली यात्री रेल पुलिया के पास गुजरी तो रमेश पटरियों पर कूद गया। ट्रेन चालक ने अचानक ब्रेक लगा दिए जिससे धीमी गति से आ रही ट्रेन रूक गई। हादसे में ट्रेन इंजन की टक्कर से रमेश पटरियों के परे जाकर गिरकर घायल हो गया। ट्रेन चालक की सूचना पर उसे रेलवे पुलिस की ओर से तुरंत श्रीकल्याण अस्पताल ले जाकर भर्ती कराया गया। चार बच्चों के पिता रमेश शर्मा निकटवर्ती रैवासा ग्राम में ही मोटर मिस्त्री का काम कर अपना परिवार पाल रहा है। उसने बताया कि बेटी की शादी के लिए एक सम्पर्क के व्यक्ति ने उसे पचास हजार दिए तथा एक सूदखोर से उसने पचास हजार रूपए ब्याज पर लिए। इसके अलावा रैवासा की ग्रामीण बैंक में उसकी बेटियों के नाम आरंभ की गई सावधि जमा व खाते की राशि मिला कर एक लाख तीस हजार रूपए वह निकलवाने पिछले दस दिनों से बैंक के चक्कर काट रहा था। उसने बताया कि बैंक का मैनेजर शादी का कार्ड दिखाने पर भी उसे दो हजार रूपए देने तथा बाकी राशि के लिए बाद में आने की बात कहकर टरका रहा था। उसने ग्राम के सरपंच से भी बैंक से पैसे निकलवाने में मदद की गुहार की लेकिन सपफल नहीं हो सका। उसने बताया कि घर में जमा की राशि से उसने शादी के लिए गहने बनवा लिए लेकिन बैंक से पैसे नहीं मिलने पर वह टेंट व हलवाई की व्यवस्था तथा अन्य सामान की खरीद नहीं कर पा रहा था। आठ दिसम्बर की शादी की तारीख निकट आते देख कोई व्यवस्था नहीं होने से उसने अपना ही जीवन त्यागने का निर्णय कर लिया। परिजनों को दी गई सूचना के बाद अस्पताल में आए रमेश के पुत्र सौरभ व भतीजे ने बताया कि घर में अपनी शादी की तैयारी में जुटा परिवार सदमे में आ गया और पराई होने जा रही लडकी भी अपनी सुध-बुध खो रही है।