करुणानिधी के जन्मदिन पर एकजुट हुए विपक्ष ने केंद्र सरकार को बनाया निशाना
चेन्नई: मौका था द्रमुक प्रमुख करुणानिधि के 94वें जन्मदिन और बतौर विधायक उनके 60 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित समारोह का. इस अवसर पर तमाम प्रमुख विपक्षी पार्टियां इकट्ठा हुईं और करुणानिधि के लंबे जीवन की कामना करते हुए सभी के सुर केंद्र सरकार की आलोचना करने में मिल गए.
द्रमुक के कार्यवाहक प्रमुख एम. के. स्टालिन ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह भारत को एक धर्मशासित देश बनाने के लिए हर कदम उठा रही है. उन्होंने विपक्ष के एकजुट होने और समान विचाधारा वाली पार्टियों के साथ काम करने की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा का शासन भारत को एक धर्मशासित राज्य बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है और वे उसके लिए हर कदम उठा रहे हैं.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि देश में एक विचारधारा है, जो यह सोचता है कि उसके पास सभी सवालों के जवाब हैं और लोगों द्वारा झेले जा रहे विभिन्न मुद्दों पर दूसरों से बात नहीं करता. उन्होंने कहा कि जब पूरी दुनिया कह रही है कि अर्थव्यवस्था में गिरावट नोटबंदी की वजह से है, वहीं इस बारे में केंद्रीय वित्त मंत्री की अलग राय है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राष्ट्रीय सचिव डी. राजा ने कहा कि अगर करुणानिधि मंच पर मौजूद होते, तो वह देश में सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ बोलते.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के माजिद मेमन ने कहा कि देश में अघोषित आपातकाल से मुकाबले के लिए करुणानिधि की उपस्थिति की जरूरत है, जब फांसीवाद तथा संप्रदायवाद की हवा देश को तोड़ने का प्रयास कर रही है.
कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हम यहां स्टालिन और देश के सभी पार्टियों के साथ एक नया अध्याय शुरू करने के लिए इकट्ठा हुए हैं. हम भाजपा को बताना चाहते हैं कि भाजपा, कांग्रेस और विपक्ष के बिना देश का सपना नहीं देख सकती.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि मोदी सरकार के कारण जो चुनौतियां सामने आई हैं, उसका समाधान साथ आकर ही किया जा सकता है.
बता दें कि स्वास्थ्य कारणों के कारण करुणानिधि समारोह में सम्मलित नहीं हुए. नीतीश कुमार समेत कई नेता उनसे मिलने उनके गोपालपुरम निवास पर गए.
जानकार बताते हैं कि विपक्षी दलों का यहां एक मंच पर आने का मकसद होने वाले राष्ट्रपति चुनाव हैं. लेकिन स्टालिन और उनकी बहन कनिमोझी, दोनों ने जन्मदिन की पार्टी को राष्ट्रपति पद के चुनाव के बारे में चर्चा का मंच बनाने से इनकार कर दिया.