उद्धव ठाकरे के छुट्टियों के दौर में शिवसेना फंसी भारी असमंजस में
मुंबई: विदेश में छुट्टियां मना रहे शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के पीठ पीछे पार्टी में असंबद्ध बयानबाजी की जैसे मानो होड़ लगी है. शिवसेना मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक और पार्टी सांसद संजय राउत ने विदेश घूम रहे अपने नेता के हवाले से बयान जारी कर कहा है कि शिवसेना आलाकमान को आधीअधूरी कर्जमाफी मंजूर नहीं. जो भी हो वह राज्य के सभी किसानों के लिए होना चाहिए. इस बयान से शिवसेना ने महाराष्ट्र सरकार की कर्जमाफी के प्लान में अड़ंगा डालने की कोशिश की है.
रविवार को आंदोलनकारी किसान नेताओं से बातचीत कर महाराष्ट्र सरकार ने फैसला लिया है कि, वह छोटे किसानों का कर्ज़ तुरंत माफ़ करती है और बाकी किसानों के कर्ज़माफ़ी को तत्वतः मंजूरी देती है. राऊत ने कहा है कि ऐसा फैसला उद्धव ठाकरे को नागवार है. वे राज्य के सभी किसानों का कर्ज माफ़ होते देखना चाहते हैं.
चौंकाने वाली बात है कि, इस बयानबाज़ी से शिवसेना का अंतर्विरोध खुलकर सामने आया है. उद्धव ठाकरे के सपरिवार विदेश में होने के दौरान पार्टी के कई नेता एक ही मुद्दे पर उद्धव ठाकरे के हवाले से अलग-अलग बयान प्रसारित कर रहे हैं. पार्टी प्रवक्ता और महाराष्ट्र विधान परिषद की सदस्य नीलम गो हे ने दावा किया था कि, किसान का बहीखाता खाली अर्थात कर्जमुक्त करने के सरकार के फैसले का शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने स्वागत किया है. यही क्या कम था कि श्रीमती गो हे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस समेत बीजेपी के कई अन्य मंत्रियों का सार्वजनिक अभिनंदन भी किया.
लेकिन अचरज भरी बात और भी थी. किसान आंदोलनकारियों से बातचीत के लिए जिस समिति का मुख्यमंत्री फड़णवीस ने गठन किया है उस समिति में शिवसेना के वरिष्ठ नेता और राज्य के परिवहन मंत्री दिवाकर रावते को शामिल किया गया है. कर्ज़माफ़ी से जुड़े जो भी फैसले हुए उस प्रक्रिया में रावते शामिल थे. ऐसे में जिस मुद्दे पर पार्टी में अंतर्विरोध बना है उस पर पार्टी के मंत्री कुछ नहीं बोल रहे हैं.
गौरतलब है कि मौजूदा कर्ज़माफ़ी से राज्य सरकार करीब 30 हजार करोड़ रुपये खर्च कर 31 लाख किसानों को लाभान्वित करेगी. अगर शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के हठ को स्वीकार करें तो मदद राशि पहुंचेगी एक लाख 34 हजार करोड़ रुपए तक, जो किसी राज्य के लिए व्यवहारिक नहीं है.