उत्तराखंड में उद्योगों को नहीं मिलेगी उपजाऊ कृषि भूमि

देहरादून : उत्तराखंड प्रदेश में भूमि नियोजन नीति बनेगी। भूमि की किल्लत के बावजूद तेजी से बढ़ अनाप-शनाप इस्तेमाल को रोकने के लिए सरकार ने यह कदम उठाने का फैसला लिया है।

इसके साथ ही उद्योगों के लिए कृषि भूमि के उपयोग को नियंत्रित किया जाएगा। इनके लिए बंजर और ऊसर भूमि का प्रयोग होगा। वहीं औद्योगिक क्षेत्र पृथक एनक्लेव के रूप में विकसित होंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी दी है। राज्य पुनर्वास प्राधिकरण के बाद सरकार के इस कदम को अहम माना जा रहा है।

विषम भौगोलिक क्षेत्र और 70 फीसद वन से घिरे उत्तराखंड में भूमि की किल्लत का आलम ये है कि सरकार को जरूरी योजनाओं को जमीन पर उतारना भारी पड़ रहा है। विश्वविद्यालयों, विद्यालयों और विभिन्न महत्वपूर्ण संस्थानों को नदी-नालों के किनारे की जमीन के इर्द-गिर्द स्थापित करने को मजबूर होना पड़ रहा है।

वहीं बेहद उपजाऊ कृषि भूमि पर कंक्रीट के जंगल पनप रहे हैं। इस समस्या को शिद्दत से महसूस कर राज्य सरकार ने भूमि संसाधन की नीति तय करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। भविष्य में सरकारी या निजी क्षेत्र को भूमि खरीद की अनुमति इसी नीति के मुताबिक मिलेगी।

इस नीति का अहम पहलू यह भी है कि इसके जरिए औद्योगिक प्रदूषण को भी नियंत्रित किया जाएगा। नदी, नालों और जल स्रोतों के नजदीक औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित और नियमित इस नीति के बूते किया जा सकेगा।

भूजल स्थिति, पर्यावरण और शहरी व ग्रामीण अवस्थापना सुविधाओं के विकास के मद्देनजर भूमि के अलग-अलग पॉकेट बनेंगे। आवासीय क्षेत्र, बहुमंजिले भवनों, होटलों, ढाबों, विद्यालयों, विश्वविद्यालयों के प्रस्तावों को इस नीति के जरिए निस्तारित किया जाएगा।

इसके लिए विभागों में तालमेल को अंतर्विभागीय सचिव स्तरीय समिति को भी प्रस्तावित किया जा रहा है। भूमि नियोजन नीति में जिलाधिकारी और मंडलायुक्त के मंतव्यों और सुझावों को तरजीह मिलने जा रही है।

भूमि नियोजन नीति में औद्योगिक क्षेत्रों के विकास पर खासा जोर रहेगा, लेकिन ऐसा उपजाऊ भूमि की कीमत पर कतई नहीं किया जाएगा।

उद्योगों व अन्य प्रयोजनों के लिए कृषि योग्य उपजाऊ भूमि के स्थान पर बंजर या अकृषि भूमि के नियोजन को बढ़ावा दिया जाएगा। गौरतलब है कि भूमि अधिग्रहण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उत्तराखंड पुनर्वास प्राधिकरण के गठन के बाद भूमि नियोजन नीति की जरूरत को शिद्दत से महसूस किया जा रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राजस्व महकमे के इस प्रस्ताव को सहमति दे दी है।

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