उत्तराखंड चावल खेती में एक महत्वपूर्ण उत्पादक प्रदेश
देहरादून, । उत्तराखंड चावल की खेती के मामले में एक महत्वपूर्ण उत्पादक प्रदेश है। लगभग 26 हजार हेक्टेय्ार भूमि में य्ाहाँ धान की फसल उगाई जाती है। हालांकि उत्तराखंड की उपज लगभग 200 किग्रा है जो कि उत्तरप्रदेश की 2500 किग्रा प्रति हेक्टेय्ार की औसत उपज से करीब 12 प्रतिशत कम है। य्ाहाँ धान की खेती में भारी मात्र्ाा में कीट संक्रमण, खरपतवार और बीमारिय्ाां, ऐसी समस्य्ााएं हैं जिनका सामना बड़े पैमाने पर उत्तराखंड के किसानों को करना पड़ता है।इसी बात को ध्य्ाान में रखते हुए इंडोफिल इंडस्ट्रीज लिमिटेड (मुख्य्ाालय्ा मुंबई) ने उत्तराखंड में खास तौर पर हरिद्वार, देहरादून और उधमसिंहनगर में खरीफ 2016 धान संरक्षण अभिय्ाान की शुरुआत की है। इंडोफिल ने इसके लिए कई अच्छी तरह प्रशिक्षित ’कृषि दूतों‘ को किसानों के साथ मिलकर काम करने के लिए निय्ाुक्त किय्ाा है, ताकि खरीफ 2016 में धान की स्वस्थ और रिकाॅर्ड फसल को सुनिश्चित किय्ाा जा सके। इंडोफिल इंडस्ट्रीज लिमिटेड के सीनिय्ार मैनेजर महेशकुमार खम्बाटे ने बताय्ाा कि ’’इस अभिय्ाान के तहत धान की फसल देने वाले प्रमुख और महत्वपूर्ण गांवों में किसानों की सभाएं आय्ाोजित की जा रही हैं। किसानों को धान की फसल के संदर्भ में उन्नत रोग निदान तकनीक तथा आधुनिक और कम लागत वाले धान सुरक्षा सम्बन्धी समाधान के बारे में प्रशिक्षण दिय्ाा जा रहा है। स्प्रिंट जैसे बीजों का उपचार करने वाले उत्पाद मिटटी और बीज से पैदा होने वाली बीमारिय्ाों से सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही एक समान अंकुरण में मदद करता है। साथ ही जडों के अच्छे विकास सहित पौधों की संख्य्ाा भी बढाता है। खरपतवार की अनिय्ांत्र्ाित बढोत्तरी, फसलों के लिए मिटटी में उपलब्ध पाशक तत्वों की मात्र्ाा में कमी लाती है। कम लागत में खरपतवार के निय्ांत्र्ाण के लिए ’जेकाॅर‘ और ’किलाॅग‘ प्रभावी हरबिसाइड (तृणनाशक) है। वहीं काॅन्टैक्ट और सिस्टेमिक फंगिसाइड एक अनूठा संय्ाोजन ’अवतार‘ बारिश के मौसम में होने वाली महत्वपूर्ण फंगल डिसीज जैसे शीथ ब्लाइट, ब्राउन स्पाॅट (भूरे धब्बे), आदि के लिए आदर्श उपचार है जो इसके अतिरिक्त धान की फसल में ’जिनिक‘ पाशण को भी दुरुस्त रखने में मदद करता है।