आर्थिक सर्वेक्षण: नोटबंदी का देश की जीडीपी पर असर अस्थायी होगा, सस्ते होंगे मकान
नई दिल्ली। केंद्र सरकार में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को आर्थिक सर्वेक्षण लोकसभा में पेश किया। इस आर्थिक सर्वेक्षण में यह अनुमान लगाया गया है कि विमुद्रीकरण से जीडीपी की ग्रोथ पर जो असर पड़ रहा वो ज्यादा समय तक नहीं रहेगा। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में जो आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया है उसमें कहा गया कि मार्च 2017 के आखिर तक नकदी की आपूर्ति के सामान्य स्तर पर पहुंच जाने की संभावना है, जिसके बाद अर्थव्यवस्था में फिर से सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी। साथ ही वित्त वर्ष 2017-18 में जीडीपी की ग्रोथ रेट 6.75 प्रतिशत से बढकर 7.5 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है।
आर्थिक सर्वेक्षण में विमुद्रीकरण के फैसले के चलते कम और लंबें समय में होने वाले नफा और नुकसान के बारे में बताया गया है। विमुद्रीकरण के फैसले के चलते डिजिटलीकरण में बढोतरी और प्रॉपर्टी की कीमतों में कमी होना शामिल हैं। विमुद्रीकरण के फैसले के चलते आने वाले समय में सरकार के खजाने और और जीडीपी दर दोनों में ही वृद्धि होने की संभावना है।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि विमुद्रीकरण के बाद डिजिटलीकरण ने तेज रफ्तार पकड़ी है। जहां तक विमुद्रीकरण से पड़ने वाले प्रतिकूल असर का सवाल है, इस वजह से चलन में आई नकदी में तेज गिरावट देखने को मिली, हालांकि यह आमतौर पर लगाए गए अनुमान से बेहद कम रही। नवम्बर माह में यह कमी 62 प्रतिशत रही, जबकि दिसंबर में सुधरकर 35 प्रतिशत के शिखर पर पहुंच गई। 8 नवम्बर के बाद के हफ्तों में लेन-देन के लिए ज्यादा मूल्य वाले पुराने नोटों का उपयोग जारी रहने से ही यह स्थिति देखने को मिली।
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक नकदी की किल्लत अप्रैल 2017 तक समाप्त हो जाएगी। इस बीच, नकदी के संकट का काफी प्रतिकूल असर जीडीपी पर पड़ेगा, जिसके चलते 7 प्रतिशत की आधार रेखा के मुकाबले वर्ष 2016-17 में जीडीपी वृद्धि दर 0.25 प्रतिशत से लेकर 0.5 प्रतिशत तक घट जाएगी।
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Source: hindi.oneindia.com