सेना प्रमुख ने आरोपों का किया खुलासा
नई दिल्ली: पूर्व सेना प्रमुख वी के सिंह पर मौजूदा सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग ने आरोप लगाया है. सुहाग ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में कहा है “मुझे आर्मी कमांडर बनने से रोकने की साज़िश की गई. जिससे मैं आगे चल के सेना प्रमुख न बन सकूँ.” सेना प्रमुख ने ये हलफनामा उस याचिका के जवाब में लगाया जिसमें उनके सेना प्रमुख बनने की चुनौती दी गई है.अब रिटायर हो चुके लेफ्टिनेंट जनरल रवि दस्ताने ने 2014 में सुहाग के खिलाफ याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि मई 2012 में सुहाग पर अनुशासनात्मक रोक लगाई गई थी. इस रोक के रहते वो सेना की पूर्वी कमांड के प्रमुख नहीं बन सकते थे. लेकिन 1 जून 2012 को सेना प्रमुख बने विक्रम सिंह ने पक्षपात करते हुए ये रोक हटा दी. इसके बाद सुहाग को पूर्वी भारत का आर्मी कमांडर बना दिया गया.रवि दस्ताने ने आरोप लगाया था कि इसी प्रमोशन की वजह से दलबीर सुहाग भविष्य में सेना प्रमुख बनने के दावेदार हो गए थे. चूँकि, उनका 2012 में हुआ प्रमोशन गलत था, इसलिए उन्हें सेना प्रमुख न बनने दिया जाए. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने तब ऐसा कोई भी आदेश देने से मना कर दिया था. तब से ये याचिका लंबित है.सुहाग पर अनुशासनात्मक रोक जनरल वी के सिंह के सेना प्रमुख रहते लगाई गई थी. दिसंबर 2011 में सेना की 3 कॉर्प्स की तरफ से असम के जोरहाट में की गई कार्रवाई की वजह से ये रोक लगाई गई थी. 3 कॉर्प्स के कई अधिकारियों पर एक घर में घुसकर डकैती का आरोप लगा था. घटना के वक़्त दलबीर सिंह सुहाग 3 कॉर्प्स के कमांडिंग ऑफिसर थे.दलबीर सिंह सुहाग ने अपने हलफनामे में कहा है कि ये बात साफ़ थी कि उनका इस घटना से कोई लेना-देना नहीं था. जिस वक्त ये घटना हुई वो छुट्टी पर थे. इसके बावजूद अचानक उन पर अनुशासनात्मक रोक लगा दी गई. सुहाग ने आरोप लगाया है कि इस घटना की आड़ में उन्हें पूर्वी भारत का आर्मी कमांडर बनने से रोकने की साज़िश रची गई. ये साज़िश खुद तत्कालीन सेना प्रमुख वी के सिंह ने रची. उनके बाद सेना प्रमुख बने जनरल विक्रम सिंह ने इस कार्रवाई की गलत मानते हुए निरस्त कर दिया.