उत्तराखंड: भाटी आयोग की रिपोर्ट को लेकर सरकार पर हमला
देहरादून : सोमवार को तराई बीज विकास निगम (टीडीसी) में वर्ष 2007 से वर्ष 2012 के बीच हुई अनियमितता का मामला विधानसभा में गूंजा। मामले की जांच के लिए गठित भाटी आयोग की रिपोर्ट के आधार पर विपक्ष कांग्रेस ने तत्कालीन कृषि मंत्री व मौजूदा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का जिक्र कर सरकार को असहज भी किया।
विपक्ष ने रिपोर्ट के आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआइआर) दर्ज करने और दोषी पाए गए लोगों पर कार्यवाही करने की मांग करते हुए इस पर विस्तृत चर्चा की मांग उठाई। सरकार ने पिछले पांच वर्षों में रिपोर्ट को सदन में न रखे जाने और इस पर कार्यवाही न किए जाने पर चिंता जताई, साथ ही इसका परीक्षण कर प्रभावी कदम उठाने का आश्वासन दिया।
सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष कांग्रेस ने तराई बीज विकास निगम में हुए घोटाले की जांच के बाद सामने आई भाटी जांच आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सभी काम रोकते हुए इस पर चर्चा करने की मांग कर दी। उप नेता कांग्रेस विधायक दल करण माहरा ने भाटी आयोग की रिपोर्ट भी सदन में दिखाई। सरकार की ओर से नियमों का हवाला देते हुए पांच वर्ष पुराने मामले को का सदन में लाने का पुरजोर विरोध किया गया और पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा इसकी जांच कराने में की गई हीलाहवाली पर सवाल उठाए।
इस मसले पर हुए हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल के बाद नियम 58 के तहत ग्राह्यता के प्रस्ताव पर इस सूचना पर चर्चा की अनुमति दी। हालांकि, इस मामले को नियम 58 में सुनने से पहले विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने एक बार फिर नियमों का हवाला देते हुए इस विषय पर किसी भी प्रकार की चर्चा न करने का अनुरोध किया लेकिन पीठ ने अपने विनिश्चय का हवाला देते हुए इसे ग्राह्यता पर सुनने की अनुमति दे दी। पक्ष और विपक्ष को सुनने के बाद पीठ ने इस सूचना को अग्राह्य कर दिया।
क्या है भाटी जांच आयोग
ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (एजी) की वर्ष 2011 की रिपोर्ट में तराई एवं बीज विकास निगम में अनियमिताएं की बात कही गई थी। इस पर तत्कालीन सरकार ने 10 मई 2012 को एक जांच आयोग बिठाने का निर्णय लिया। शासन ने इसकी जांच के लिए पूर्व आइएएस केआर भाटी की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय जांच आयोग गठित किया। आयोग ने पांच मार्च 2013 को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी।
जांच के प्रमुख बिंदु
-टीडीसी में गैर सरकारी अध्यक्ष की नियुक्ति।
-मुख्यमंत्री के वैधानिक, वित्तीय व प्रशासनिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए प्रमुख सचिव द्वारा आदेश जारी करना।
-टीडीसी में मानकों का उल्लंघन करते हुए नियुक्तियां करना।
-निगम के लिए खरीदे जाने वाले बीजों में मानकों का उल्लंघन करना।