उत्तराखण्ड औद्यानिक परिषद की 8वीं सामान्य सभा की बैठक आयोजित
देहरादून,। उत्तराखण्ड औद्यानिक परिषद की 8वीं सामान्य सभा बैठक आज राजकीय उद्यान सर्किट हाउस, देहरादून में सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने की। बैठक की शुरुआत परिषद द्वारा विगत वर्षों की आय-व्यय विवरण प्रस्तुत किया गया और पिछली बैठक में लिए गए निर्णयों की अनुपालन आख्या पर चर्चा हुई। बैठक के एजेण्डे पर बिन्दुवार चर्चा की गयी। जिसमे उत्तराखण्ड औद्यानिक परिषद की 8वीं सामान्य सभा बैठक में राज्य के कृषि और उद्यानिकी क्षेत्र को डिजिटल बनाने के उद्देश्य से परिषद ने एक निजी कंपनी के सहयोग से तैयार डिजिटल उद्यान एवं प्लांट एलोकेशन सिस्टम की ड्राफ्ट रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा की। राज्य के किसानों के हित में राज्य में कृषि विभाग एवं अन्य सहयोगी विभागों की योजनाओं को डिजिटाइज़ करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यह कार्य राजस्थान सरकार के सहयोग तथा निजी कंपनी द्वारा तैयार रिपोर्ट के आधार पर किया जाएगा। इसके लिए परिषद ने ₹20 लाख के व्यय को अनुमोदित किया।
राजकीय उद्यान चौबटिया स्थित नवनिर्मित भवन को परिषद को हस्तांतरित किए जाने के बाद, वहां कृषकों द्वारा उत्पादित प्रसंस्कृत उत्पादों की बिक्री और पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए एक रिटेल आउटलेट एवं रेस्टोरेंट की स्थापना का निर्णय लिया गया। इसके लिए परिषद ने ₹25 लाख की धनराशि को अनुमोदित/स्वीकृत किया। बैठक में सेब की अति सघन बागवानी योजना, औद्यानिक प्रसंस्कृत उत्पादों के विपणन और राज्य के उत्पादों के प्रचार-प्रसार से जुड़े प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। राज्य में सेब की अति सघन बागवानी योजना के तहत नए सेब बागान स्थापित करने वाले कृषकों को प्रशिक्षण देने के लिए कार्याेत्तर स्वीकृति/अनुमोदन प्रदान किया गया। यह प्रशिक्षण किसानों को आधुनिक तकनीकों से अवगत कराकर सेब उत्पादन की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने में मदद करेगा। जाइका पोषित उत्तराखण्ड एकीकृत बागवानी विकास योजना के अंतर्गत नैनीताल और टिहरी के काश्तकारों द्वारा उत्पादित औद्यानिक प्रसंस्कृत उत्पादों के विपणन के लिए परिषद द्वारा रिटेल आउटलेट स्थापित करने की मंजूरी दी गई। इस पहल का उद्देश्य स्थानीय किसानों को बाजार उपलब्ध कराना और उनके उत्पादों को अधिक ग्राहकों तक पहुंचाना है। बैठक में उत्तराखण्ड में उत्पादित उच्च गुणवत्ता वाले औद्यानिक उत्पादों को राज्य से बाहर पहचान दिलाने और बड़े स्तर पर प्रचार-प्रसार करने के लिए महोत्सवों के आयोजन के निर्देश दिए गए। इस पहल से किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा और राज्य के औद्यानिक उत्पादों की मांग देशभर में बढ़ेगी।