उत्तराखंड की भूमिका का कमाल, ओलंपिया फतह को तैयार
देहरादून : एक वीडियो ने उनकी सोच बदल दी। शौक चढ़ा बॉडी बिल्डिंग और यह शौक कब जुनून बन गया पता नहीं चला। फिर शुरू हो गया राष्ट्रीय स्तर पर सफलता का सफर। अब यह सफर अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहुंच गया है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया उत्तराखंड की भूमिका शर्मा ने। महज तीन साल के भीतर बॉडी बिल्डिंग जैसे पुरुष वर्चस्व वाले खेल में भूमिका ने अलग पहचान बनाई है। 17 व 18 जून को इटली में डब्ल्यूएबीबीए (वाबा) की ओर से आयोजित वर्ल्ड कप फिटनेस एंड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर भूमिका ने प्रदेश ही नहीं समूचे देश का मान बढ़ाया।
भूमिका अब दिसंबर में आयोजित होने वाली मिस्टर एंड मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता की तैयारी में जुट गई है। भूमिका का लक्ष्य भारत को पहली बार मिस ओलंपिया में पदक जिताना है। वह फिलहाल दून के आइटी पार्क में जिम का संचालन कर वहीं पर आगे की तैयारियों में जुटी हैं।
बॉडी बिल्डिंग को छोड़ी निशानेबाजी
21 वर्षीय भूमिका बताती हैं कि 2011 में उन्होंने निशानेबाजी में हाथ आजमाने शुरू किए। खिलाड़ी के गुण उन्हें विरासत में मिले हैं। भूमिका की मां और द्रोणाचार्य अवार्ड विजेता हंसा मनराल शर्मा अंतरराष्ट्रीय वेटलिफ्टर रह चुकी हैं। भूमिका बताती हैं कि मां से प्रेरित होकर उन्होंने खेलों में कॅरियर बनाने की सोची।
झेलना पड़ा परिजनों का विरोध
बॉडी बिल्डिंग कॅरियर के तौर पर अपनाने में भूमिका की राह आसान नहीं रही। भूमिका बताती हैं कि 2014 में दिल्ली में एक जिम में फिजिकल फिटनेस के लिए गई तो वहां के ट्रेनर उन्हें महिला बॉडी बिल्डिंग से संबंधित वीडियो दिखाया। उसे देखकर वह काफी रोमांचित हुई और बॉडी बिल्डिंग करने की ठान ली।
जब मां हंसा मनराल शर्मा और बिजनेसमैन पिता विश्वविजय शर्मा को इस बात का पता चला तो वे बहुत नाराज हुए। भूमिका बताती हैं कि परिजनों ने बॉडी बिल्डिंग को पुरुषों का खेल बताते हुए उन्हें इसे छोड़ने के लिए कहा। परिजनों के विरोध के बावजूद उन्होंने शरीर सौष्ठव में मुकाम हासिल करने के लिए मेहनत शुरू कर दी।
भूमिका बताती है कि शुरू में काफी परेशानी हुई। परिजनों का सपोर्ट नहीं मिला। उन्हें अपनी पिस्टल तक बेचनी पड़ी। बताती है कि अक्टूबर 2015 में उन्हें अपनी काबिलियत दिखाने को मौका। मुंबई में होने वाली फिट फैक्टर बॉडी एक्सपो के लिए उनका चयन हुआ।
हालांकि वह इसमें प्रतिभाग नहीं कर सकीं। वह बताती हैं कि उनके जुनून को देखकर परिजनों ने उन्हें देहरादून बुला लिया और यहीं बॉडी बिल्डिंग की ट्रेनिंग करने को कहा।
सात घंटे जिम में बहाती हैं पसीना
बॉडी बिल्डिंग के लिए भूमिका रोजाना जिम में सात घंटे पसीना बहाती हैं। सुबह वह एक्सरसाइज करने के साथ ही 12 किमी रनिंग करती हैं। ट्रेनर सन्नी राजपूत की देखरेख में शाम को वेट एक्साइज करती हैं। वह बताती है कि डाइट का विशेष ख्याल रखना पड़ता है। इसमें प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होनी चाहिए।
अब तक का सफर
-17 से 18 जून-2017-वर्ल्ड कप फिटनेस एंड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
-22 मार्च-2017-दिल्ली में मिस्टर एंड मिस दिल्ली बॉडी बिल्डिंग एंड फिटनेस प्रतियोगिता में भूमिका ने महिला ओपन वर्ग में स्वर्ण पदक जीता।
-मई-2017-बुलंदशहर उत्तर प्रदेश में आयोजित राष्ट्रीय मिस्टर एंड मिस बॉडी बिल्डिंग एंड फिटनेस प्रतियोगिता में दो रजत पदक।