सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों की हड़ताल पर प्रतिबंध लगाया

सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों की हड़ताल पर प्रतिबंध लगा दिया। कोर्ट का मानना है की वकीलों की आये दिन हड़ताल से असीलो के केसों पर असर होती है और केस लंबित होते है। जाहिर है की देशभर में वकील समुदाय ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया और लोकतान्त्रिक तरीके से इसका विरोध करने का फैंसला किया है। जिसमे हड़ताल पर प्रतिबंध के खिलाफ वकीलों को जागरूक करेंगे। ज्ञापन पत्र देंगे और फैंसले पर कोर्ट पुनर्विचार करे ऐसी कानूनी कारवाही भी करेंगे। वकील समुदाय भी समाज का एक हिस्सा है। उसे भी अपनी बात रखने का अधिकार है। जब कोई ऐसी घटना हो जाती है जिससे समाज में भारी रोष व्यापत हो तब समाज के साथ खड़ा होने के लिए वकील समुदाय भी एक दिन कोर्ट के कामकाज से दूर रहते है जिसे हड़ताल कहा जाता है।सवाल ये है की देश की सभी कोर्टो में लंबित केसों के लिए क्या सिर्फ वकीलों की हड़ताल ही जिम्मेवार है?
देश की कोर्टो में एक अंदाज मुताबिक करीब दो करोड़ से ज्यादा केस लंबित है। कई केस तो कई साल पुराने है जो की सिविल केस है। जिसका निपटारा इतनी जल्दी नहीं होता। कोर्ट में लंबित केसों के लिए असील,वकील और सरकार के द्वारा ली जाती मुदत है जो तारीख पे तारीख…तारीख पे तारीख के बहुचर्चित एक फ़िल्मी डायलोग के रूप में मशहूर है। कई बार वकील तो ज्यादातर असील या पक्षकार छोटी छोटी बातो पर तारीख ले लेते है। इसके अलावा कोर्ट का वेकेशन भी एक कारण है। अंग्रेजो ने अपनी सहूलियतो के लिए समर वेकेशन,विन्टर वेकेशन और बाद में इसमें दिवाली वेकेशन,नाताल वेकेशन जुड़ गया। प्रधानमंत्री मोदीजी ने जब जस्टिस ठाकुर सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस थे तब एक सार्वजनिक मंच से ये बात रखी थी की अदालतों में छुट्टिया कम हो। सरकार के दफ्तर गर्मियों में भी खुले रहते है। हां, ये है की सार्वजनिक सरकारी छुट्टिया और हर माह दूसरा चौथा शनिवार छुट्टी की वजह से कामकाज पर प्रभाव पड़ता है।
सिर्फ वकीलों की हड़ताल ही लंबित केसों के लिए जिम्मेवार न मानते हुये कोर्ट को सभी पहलुओ पर विचार करना चाहिए। समर वेकेशन में सरकारी दफ्तर खुल्ले रहते हो तो सभी कोर्ट भी काम करे। अंग्रेजो ने गर्मियों में किसी हिल स्टेशन पर जाकर आराम करने के लिए शायद समर वेकेशन की प्रथा अपनाई होंगी। कोर्ट दीन के साथ साथ रात को भी जिसे इवनिग कोर्ट कह सकते है वह भी शुरु कर सकती है। ताकि जो असील अपना रोजगार गवां कर सुबह कोर्ट न आ सके और तारीख चलती रहती है ऐसे असीलो के लिए इवनिंग कोर्ट एक आशिर्वाद से कम नहीं। कोर्ट वकीलों की हड़ताल पर जाहिर प्रतिबंध के बारे में पुनर्विचार करे। ताकि वकील समुदाय भी लोकतंत्र में अपनी बात रख सके। हड़ताल पर प्रतिबंध हो तो सभी क्षेत्र में हड़ताल लागू हो ताकि लाखो मानव कलाक का व्यय न हो।

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