इंदिरा गांधी की राह पर राहुल

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी परंपरागत सीट अमेठी के अलावा केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़ेंगे। इसकी घोषणा के साथ ही देश भर में सियासी गहमा-गहमी तेज हो गई है। जहां इस एलान के बाद अमित शाह ने चुनावी रैली में इस निर्णय पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल गांधी केरल भाग गए हैं क्योंकि उन्हें डर है अमेठी के मतदाता उनसे हिसाब मांगेंगे। वहीं भाकपा के नेता डी राजा ने भी कांग्रेस के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसका कोई मतलब नहीं है। राहुल के वायनाड से चुनाव लड़ने के फैसले के बाद पार्टी प्रवक्ता और राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले रणदीप सुरजेवाला ने उस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह दक्षिण भारत के राज्यों को संदेश है कि उन्हें महत्व और सम्मान दिया जाता है। राहुल गांधी ने कहा है कि वह अमेठी का प्रतिनिधित्व करेंगे, लेकिन वह दक्षिणी राज्यों का भी प्रतिनिधित्व करेंगे जो देश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।साल 1978 जब इंदिरा गांधी ने अपनी राजनीतिक वापसी के अभियान के तहत कर्नाटक के चिकमंगलूर से उपचुनाव लड़ने का फैसला किया और तब ‘एक शेरनी,  सौ लंगूर;  चिकमंगलूर, चिकमंगलूर’ का यह नारा अपने निहित राजनीतिक संदेश के कारण एक सदाबहार नारा बना था। जिसके दो साल बाद हुए आम चुनाव में इंदिरा गांधी कांग्रेस को दोबारा सत्ता में लाने में सफल हुई थीं, तब उन्होंने आंध्र प्रदेश में मेडक और उत्तर प्रदेश में रायबरेली की सीटें जीती थीं। साल 1999 जब धरातल पर जा चुकी कांग्रेस को फिर से एकजुट करने की कवायद के साथ सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान संभालते हुए कर्नाटक के बेल्लारी में भाजपा की सुषमा स्वराज को हराने के साथ ही अमेठी सीट भी जीती थी।

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