राफेल सौदे की प्रक्रिया सही : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट से 36 राफेल विमान सौदे में किसी तरह की जांच की संभावना को नकारते हुए कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच से मना कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 8.7 बिलियन डॉलर की रक्षा डील में किसी तरह की अनियमितता नहीं पाई है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि उन्हें ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला जिससे कहा जा सके कि सरकार ने किसी निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए फ्रांस के साथ समझौता किया।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से केन्द्र सरकार को राहत मिली है और विपक्ष की सीबीआई जांच कराने की मांग को खारिज कर दिया गया है। इस फैसले के बावजूद भारत और फ्रांस सरकार के बीच हुए इस सौदे पर कई अनुत्तरित सवाल हैं जिनका जवाब न तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मिला और न ही इन सवालों का कोई जवाब सरकार से मिलने की उम्मीद है।
कोर्ट में केन्द्र सरकार ने कहा कि दसॉल्ट से करार में ऑफसेट पार्टनर चुनने का दारोमदार फ्रांस की कंपनी के पास था। लेकिन सवाल यह है कि जब भारत और फ्रांस सरकार के बीच हुई इस डील में दसॉल्ट के लिए यह जिम्मेदारी छोड़ी गई तब किस आधार पर भारत सरकार की एविएशन इकाई एचएएल एक ऐसी कंपनी से पिछड़ गई जिसने एविएशन क्षेत्र में कदम करार के बाद रखा।

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