मैक्स के बढ़ते कदम मरीजों को मिल रही बेहतरीन सुविधाएं

ऋषिकेश, । क्रोहन रोग से पीड़ित 72 वर्षीय बुजु़र्ग, जिनकी आंत संकरी हो गई थी, उनका इलाज एंडोस्कोपी की मदद से किया गया, ताकि मरीज़ की सर्जरी न करने पड़े। क्रोहन रोग के कारण आंतों में घाव हो जाते हैं और आंते संकरी हो जाती हैं। जिसके चलते मरीज़ को पेट में दर्द, उल्टी और पेट फूलना जैसी शिकायत रहती है। आमतौर पर इस तरह के मामलों में आंत के प्रभावित हिस्से को ही निकाल दिया जाता है। हमारे अस्पताल में हमने एंडोस्कोपी की मदद से इस बीमारी का इलाज शुरू किया है, इससे जहां एक ओर मरीज़ को लक्षणों से आराम मिलता है, वहीं दूसरी ओर आंत की मेजर सर्जरी नहीं करना पड़ती। आज एंडोस्कोपी का इस्तेमाल निदान में नहीं बल्कि बीमारियों के इलाज में भी किया जाने लगा है। पहले एंडोस्कोपी का इस्तेमाल शरीर के भीतर उन बीमारियों को देखने के लिए किया जाता था, जो बाहर से पता नहीं चल पाती हैं। बीमारी के लक्षण देखने के लए एंडोस्कोप को आंतों तक डाला जाता है, यह प्रक्रिया गैस्ट्रो सर्जन द्वारा की जाती है। लेकिन चिकित्सक कड़ी मेहनत और अभ्यास से ही इसमें दक्षता हासिल कर सकता है। डॉ रविकान्त गुप्ता, एक सर्जन अैर इंटरवेंशनल एंडोस्कोपिस्ट हैं। उन्होंने मुंबई और हार्वर्ड युनिवर्सिटी में प्रशिक्षण लिया। उनके पास लीलावती अस्पताल, मुंबई सहित इस क्षेत्र में 30 साल से ज़्यादा अनुभव है। उनके मरीज़ों की लंबी सूची में जाने माने राजनीतिज्ञ, फिल्म जगत के सितारे, धार्मिक क्षेत्र और कारोबार से जुड़ी दिग्गज हस्तियां शामिल हैं। राज्य में उनकी मौजूदगी सुनिश्चित करेगी कि एंडोस्कोपी के लिए किसी भी मरीज़ को उत्तराखण्ड से बाहर न जाना पड़े।

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