इंटरनेट उपयोग में नहीं चलेगा भेदभाव: TRAI

नई दिल्ली । दूरसंचार नियामक ट्राई ने आम जनता को इंटरनेट की आजादी देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उसने ऐसे इंटरनेट सेवा प्रदाताओं की गतिविधियों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है, जो मुनाफे के लिए इंटरनेट इस्तेमाल में रुकावट अथवा स्पीड में कमी-बेशी कर वेबसाइटों तक आम उपभोक्ता की पहुंच को सीमित बनाने का प्रयास करते हैं। ट्राई का मानना है कि केवल चुनिंदा वेबसाइटों या एप्स के जरिये लोगों तक इंटरनेट की पहुंच सीमित करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती।

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी ट्राई ने मंगलवार को नेट न्यूट्रलिटी पर अपनी बहुप्रतीक्षित सिफारिशें पेश कर दीं। इसमें ऐप, वेबसाइट और सेवाओं को अवरुद्ध कर ट्रैफिक में बाधा पहुंचाने और कई नेट सुविधाओं के लिए अलग-अलग कीमत वसूलने की इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आइएसपी) की गतिविधियों को अनुचित ठहराया था। ऐसा करने वालों पर सरकार से पूर्णतया प्रतिबंध लगाने को कहा गया है। ट्राई का कहना है कि इंटरनेट सभी के लिए ‘खुला मंच’ है। इसके उपयोगकर्ताओं के बीच किसी भी तरह के भेदभाव की स्वीकार नहीं किया जा सकता।

इससे पहले ट्राई ने पिछले साल फरवरी में फेसबुक के इंटरनेट.ओआरजी और एयरटेल जीरो जैसे तमाम प्लेटफॉर्मों पर रोक लगा दी थी। इनमें साइबर स्पेस की ‘चौकीदारी’ का प्रयास करते हुए चुनिंदा वेबसाइटों पर मुफ्त एक्सेस की सुविधा दी गई थी। इंटरनेट के विभिन्न प्रकार के उपयोगों की अलग-अलग कीमतें निर्धारित करने पर भी ट्राई प्रतिबंध लगा चुका है। नियामक ने सरकार से कहा था कि जब तक नेट न्यूट्रलिटी को लेकर उसकी सिफारिशें नहीं आ जातीं, तब तक इंटरनेट पर सभी सामग्री के निर्बाध उपयोग के लिए मौजूदा लाइसेंस शर्तो का कड़ाई से पालन कराया जाना चाहिए।

अगर ट्राई की इन सिफारिशों को लागू किया जाता है तो इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियां न तो किसी वेब सर्विस को अवरुद्ध कर सकेंगी और न ही उसकी रफ्तार में कमी-बेशी कर सकेंगी। अधिक भुगतान करने वाले कंटेंट प्रदाताओं को तीव्र यातायात की सुविधा प्रदान कर सकेंगी। फिर चाहे ये वेब सेवाएं कंप्यूटर पर हों या लैपटॉप अथवा मोबाइल फोन किसी पर।

ट्राई की सिफारिशें यूएस फेडरल कम्यूनिकेशंस कमीशन के अध्यक्ष अजित पई के प्रस्ताव के बाद आई हैं। इसमें इंटरनेट पर आने वाले सभी प्रकार के कंटेट को समान समझने के 2015 के नियम को खत्म करने और आइएसपी को कॉमन कैरियर्स के बजाय सूचना सेवाएं मानने का सुझाव दिया गया है।

नियामक ने किया आगाह

ट्राई ने आगाह किया है कि ऐसे किसी भी प्रकार के अंकुश अथवा हस्तक्षेप को भेदभावपूर्ण व्यवहार माना जाएगा। इसमें नेट यातायात को अवरुद्ध करना, उसकी स्पीड को कम या ज्यादा करना अथवा किसी विशेष इंटरनेट सेवा प्रदाता को प्राथमिकता प्रदान करना शामिल हो। ट्राई ने सेवा प्रदाताओं को ऐसे समझौते करने से भी रोक दिया है, जिनसे सामग्री, प्रेषक, प्राप्तकर्ता, प्रोटोकॉल अथवा यूजर इक्विपमेंट के साथ भेद करने को बढ़ावा मिलता हो।

विशिष्ट सेवाएं रहेंगी दायरे से बाहर

हालांकि ट्राई ने विशिष्ट सेवाओं को इन सिफारिशों से मुक्त रखने की व्यवस्था भी दी है। लेकिन ये रियायतें केवल उन्हीं सेवाओं पर मिलेंगी, जिनमें विशेष गुणवत्ता हासिल करने के लिए सेवाओं का एक निश्चित स्तर हासिल करना आवश्यक हो।

बदलें लाइसेंस समझौते की शर्ते

ट्राई ने नेट न्यूट्रलिटी के लिए विभिन्न लाइसेंस समझौतों की शर्तो में संशोधन का सुझाव भी दिया है। दूरसंचार विभाग को इनका उल्लंघन करने वालों पर नजर रखने के लिए दूरसंचार कंपनियों, आइएसपी, कंटेट प्रदाताओं, सिविल सोसाइटी संगठनों व उपभोक्ता प्रतिनिधियों को शामिल कर एक संस्था गठित करने का सुझाव दिया है।

पहले बनी थी इंटरनेट कॉल्स पर समिति

इससे पहले दूरसंचार विभाग द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय समिति ने इंटरनेट आधारित एप के जरिये की जाने वाली डोमेस्टिक कॉल्स के बारे में नियम बनाने तथा इन कॉल्स को भी दूरसंचार ऑपरेटरों की कॉल्स जैसा ही माने जाने का सुझाव दिया था। इसके बाद विभाग ने ट्राई से नेट न्यूट्रलिटी पर सिफारिशें देने को कहा था।

क्या है नेट न्यूट्रलिटी?

नेट न्यूट्रलिटी वह सिद्धांत है जिसके तहत सभी आइएसपी से उम्मीद की जाती है कि वे इंटरनेट के जरिये भेजे जाने जाने वाले सभी प्रकार के डाटा को एक समान मानेंगे। वे इंटरनेट का उपयोग करने वाले विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं के साथ न तो कोई भेदभाव करेंगे और न ही उनसे भिन्न-भिन्न तरह के उपयोग के लिए अलग-अलग शुल्क वसूलेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *