2019 में भाजपा की चूले हिला सकती है कांग्रेस

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ में कांग्रेस की वापसी के साथ वर्ष 2018 की विदाई और लोकसभा के चुनावों की आहट के साथ 2019 का स्वागत किया जा रहा है। 2018 का साल एक तरह से कांग्रेस की सत्ता वापसी का साल कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं कहा जा सकता। साल की पहली छमाही में जहां कर्नाटक विधानसभा चुनावों में सत्ता की सीढ़ी चढ़ने में कांग्रेस कामयाब रही वहीं साल के अंत में हुए पांच राज्यों के चुनावों में तीन प्रमुख राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ में भाजपा से सत्ता छीनने में कांग्रेस कामयाब रही। देखा जाए तो यह साल राहुल गांधी की परिपक्वता और राहुल के कद में बढ़ोतरी के रूप में देखा जा सकता है। दरअसल जीएसटी और आरक्षण का मुद्दा इस साल की बड़ी घटनाओं में से एक है और इसका सीधा सीधा असर भी चुनाव परिणामों से साफतौर से देखा जा सकता है। आरबीआई के गवर्नर का इस्तीफा कोढ़ में खाज का काम कर गया वहीं राफेल का मुद्दा भी राजनीतिक गलियारों व यहां तक की कोर्ट तक में छाया रहा। सीबीआई का झगड़ा सड़क पर आना भी इस साल की बड़ी घटनाओं में से एक रहा है। कारोबारी सुगमता के क्षेत्र में 30 पायदान की लंबी छलांग निश्चित रुप से वैश्विक स्तर पर गौरव की बात रही है। इसरो के लिए यह साल उपलब्धियों भरा रहा है वहीं तीन तलाक का मुद्दा साल की शुरुआत से लेकर साल के अंत तक छाया रहा है। निश्चित रूप से कश्मीर की स्थितियों में सुधार देखा जा रहा है वहीं आतंकवादी गतिविधियों पर भी अंकुश लगा है। सबसे मजे की बात यह है कि साल के अंत में हुए चुनावों में ईवीएम की विश्वसनीयता कोई खास मुद्दा बनकर नहीं उभरी बल्कि चुनाव आयोग और अधिक निखार के साथ सामने आया है।30 दिसंबर की रात 12 बजे हैप्पी न्यू ईयर के घोष के साथ 2019 का आगाज हुआ। बेहद उथल−पुथल भरे वर्ष 2018 की कड़वी मीठी यादों को भुलाकर नए साल में नए संकल्प के साथ आगे बढ़ने का अवसर है। बीती ताही बिसार दे, आगे की सुध लेय के साथ नए साल का स्वागत करना है। परिवार, समाज, प्रदेश, देश और विश्व में सुख और शांति की कामना लेकर आगे बढ़ने की सोच बनानी होगी। असल में साल 2018 में जो कुछ उपलब्धियां या कटुताएं रहीं उसे भुलाते हुए अब नए संकल्प के साथ 2019 में प्रवेश करना है। राजनीतिक दृष्टि से देखें तो यह साल बीजेपी के सत्ता रथ के रुकने का रहा है। वहीं कांग्रेस के लिए राजस्थान, मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ में सत्ता की वापसी का रहा है। यह निश्चित रूप से कांग्रेस की बडी जीत है क्योंकि इन पांच राज्यों के चुनावों को सत्ता का सेमीफाइनल माना जाता रहा है। राहुल गांधी की परिपक्वता और कांग्रेस अध्यक्ष की अगुवाई में विजयश्री इस साल की कांग्रेस के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। हालांकि भाजपा मुक्त भारत की कल्पना अभी दूर दिखाई दे रही हैं क्योंकि विपक्षी दलों द्वारा एक साथ मिलकर चुनाव लड़ना अभी दूर की कौड़ी दिखाई दे रही है। राममंदिर का मसला अवश्य 2019 का प्रमुख मसला बनकर उभरने की संभावना है। इलाहाबाद का कुंभ अवश्य इस साल का बड़ा आयोजन होगा। तकनीक के क्षेत्र में देश ने नई ऊँचाइयां प्राप्त कीं यहां तक कि उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण कर भारतीय तकनीक का लोहा मनवा दिया। विदेशों में भारत की साख बढ़ी है इससे कोई इंकार नहीं कर सकता।

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