” हमारे बिलों से बीपीएल संख्याए गायब हैं” : डायलिसिस केयर नेटवर्क

ये सेवायें उत्तराखण्ड सरकार की लापरवाही के कारण प्रभावित होंगी और क्षेत्र में क्रॉनिक किडनी डिजीज से ग्रस्त गरीबी रेखा से नीचे रह रहे 350 मरीजों सहित 900 से अधिक मरीजों पर इसका असर पड़ेगा

एक वर्ष से अधिक समय से पैसे न मिलने के कारण, नेफ्रोप्‍लस, पीपीपी मॉडल के अंतर्गत बीपीएल मरीजों को दी जा रही सेवायें बंद करेगी
देहरादून,  । भारत के सबसे बड़े डायलिसिस केयर नेटवर्क और भारत में डायलिसिस केयर को पुनर्परिभाषित करने में अग्रणी नेफ्रोप्‍लस द्वारा फरवरी 2017 से ही पीपीपी मॉडल के अंतर्गत कोरोनेशन हॉस्पिटल, देहरादून एवं बेस हॉस्पिटल, हल्‍द्वानी में बीपीएल मरीजों (गेस्‍ट्स) को डायलिसिस उपलब्‍ध कराई जा रही है। इसे अपनी सर्विस के लिये दिसंबर 2017 तक नियमित तौर पर भुगतान मिल रहा था, लेकिन जनवरी 2018 के बाद अब तक के बिलों को कोई वैध कारण बताये बगैर रोक दिया गया है। हमने जब इस बारे में डीजी, एमएचएंडएफड्ब्‍ल्‍यू से बात की, तो हमे बताया गया कि यह विभाग का आंतरिक आदेश है। बीपीएल मरीजों से संबंधित भुगतान को एमडी-एनएचएम से अधिकृत करवाने की जरूरत होती है और डीजी ने हमें बताया कि इस भुगतान से संबंधित फाइल को उनके ऑफिस द्वारा स्‍वीकृत कर दिया है, लेकिन उन्‍हें एमडी-एनएचएम द्वारा भुगतान जारी करने का कोई ऑर्डर नहीं मिला है। एमडी-एनएचएम हमारे अनुबंध में कोई पक्ष नहीं है और यह एनएचएम एवं एमएचएंडएफडब्‍लू के बीच का आंतरिक मामला है। इसके बावजूद, हमने कई बार एमडी-एनएचएम से संपर्क किया और विभिन्‍न कारणों की वजह से हमें डीजी के पास लौटा दिया गया। एक बार, हमें एमडी-एनएचएम द्वारा बताया गया कि नेफ्राप्‍लस की ओर से कोई चूक नहीं हुई है, हालांकि, एनएचएम ऑफिस द्वारा संचालित 3 अलग-अलग ऑडिट्स में यही चिंता जताई गई है कि ” हमारे बिलों से बीपीएल संख्याए गायब हैं” और कोई असंगति नहीं पाई गई है। ध्‍यान देने योग्‍य बात यह है कि हमारे सेंटर पर कई मरीज विभिन्‍न अधिकारियों से संदर्भ पत्र लेकर आते हैं और केवल सीएमएस द्वारा इसके स्वीकृत होने के बाद ही मरीजों का डायलिसिस किया जाता है।

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